Doctor's Day 2022 Date: साल 2020 से जिस तरह दुनियाभर में कोरोना वायरस ने तबाही मचाई है। अगर डॉक्टर्स नहीं होते तो न जाने कितने और लोग इस दुनिया से चले जाते। डॉक्टर्स ने अपने जान की परवाह किए बिना दुनियाभर में लाखों-करोड़ों लोगों की जान बचाई है। इसीलिए डॉक्टर्स को भगवान का दर्जा दिया जाता है। डॉक्टर्स के काम और उनके समर्पण को सम्मान देने के लिए भारत में 1 जुलाई को 'डॉक्टर्स डे' मनाया जाता है। इस दौरान हम डॉक्टर्स को उनकी सेवा के लिए धन्यवाद देते हैं।
दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग तारीख को 'डॉक्टर्स डे' मनाया जाता है। दूसरी तरफ भारत में 1 जुलाई को 'डॉक्टर्स डे' मनाया जाता है। इस दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन 'राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस' कार्यक्रम का आयोजन करती है। सबसे पहले साल 1991 में भारत की सरकार ने राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के मनाने की शुरुआत की थी। इस दिन भारत के एक महान चिकित्सक बिधानचंद्र रॉय का जन्म हुआ था। 1 जुलाई 1882 को बिधानचंद्र रॉय का जन्म हुआ था।
डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का इलाज किया था। उन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है। उनके योगदान को याद करने और सम्मान देने के लिए ही देशभर में 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाने की शुरुआत हुई थी। उनकी याद में ही साल 1975 से चिकित्सा, विज्ञान, कला, दर्शन और साहित्य के क्षेत्रों में अद्भुत काम करने वाले लोगों को हर साल बीसी रॉय पुरुस्कार से नवाजा जाता है। जहां डॉ. बिधानचंद्र रॉय एक महान चिकित्सक थे, वहीं वह पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी बने थे।
महात्मा गांधी के ही कहने पर डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय राजनीति में आए थे। अच्छे चिकित्सक के साथ ही वह एक महान समाजसेवी, अच्छे राजनेता और आंदोलनकारी भी थे। उन्होंने देश की आजादी के दौरान असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। उन्हें महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के डॉक्टर के रूप में भी जाना जाता है। बिहार के पटना में जन्मे बिधानचंद्र की प्रारंभिक शिक्षा भारत में हुई थी। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड पहुंचे थे। उन्होंने सियालदाह से डॉक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। अपनी सारी कमाई उन्होंने दान में दे दी थी। आजादी के दौरान लाखों घायलों की उन्होंने निशुल्क सेवा की थी।