नई दिल्ली: सरोगेसी और आईवीएफ न केवल महिलाओं को बल्कि पुरुषों को भी सिंगल पेरेंटहुड चुनने की आजादी दे रहा है। दुबई के युसेफ खान का जीवन 3 दिसंबर को उस समय बदल गया, जब सिंगल फादरहुड के लिए उनका 12वां प्रयास सफल रहा और उनके बच्चे का जन्म गोवा के पणजी में हुआ। खान ने अपने 18 दिन के बच्चे कबीर के साथ शुक्रवार को गर्व के साथ घोषणा की कि वह राज्य में सरोगेसी के जरिए पहले एकल पिता हैं।
मूल रूप से पुणे के रहने वाले 36 साल के खान ने कहा कि सिंगल पैरेंट बनने का उनका फैसला बच्चों के प्रति उनके प्यार से उपजा है और वह इस सपने को साकार करने के लिए शादी में नहीं आना चाहते थे। उन्होंने कहा, 'यह मेरे द्वारा किए गए सबसे अच्छे कामों में से एक है। मेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया है। मैंने कबीर के साथ केवल 18 दिन बिताए हैं और यह सबसे फायदेमंद चीज है। मेरे पास देने के लिए बहुत सारा प्यार है।'
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने एकल पिता बनने का विकल्प क्यों चुना, तो खान ने कहा, 'एकल का मतलब अछूत नहीं है। यह अधूरा नहीं है। मैं पहले से ही काफी पूर्ण था। मेरे पास रिलेशनशिप जीन नहीं है, लेकिन मेरे पास एक बहुत मजबूत पेरेंटिंग जीन है।' खान ने उम्मीद जताई कि उनके इस कदम से और भी मर्द प्रभावित होंगे।
युसेफ खान ने कहा कि उन्होंने कई बाद एक बच्चे को गोद लेने की कोशिश की लेकिन कड़े भारतीय कानून से ये संभव नहीं हो पया। इसके बाद सरोगेसी का फैसला किया। मैंने 10 सालों तक गोद लेने की कोशिश की लेकिन मेरे पास अस्वीकृत पत्रों का भार है। मुझे सिर्फ एक बच्चे की जरूरत थी, जैविक बच्चे की नहीं। सरकार ने गोद लेना बहुत मुश्किल बना दिया है। कुछ करने की जरूरत है। लाल फीताशाही बहुत लंबी है।'