बेटी ने दहेज में पिता से कर दी ऐसी डिमांड, पिता ने 6 महीने में जुटाई 2200 किताबें

एक लड़की ने अपनी शादी में दहेज के तौर पर अपने पिता से रुपए और गहनों की जगह पर किताबों की मांग की। पिता ने बेटी के दहेज के लिए 6 महीने में करीब 2200 किताबें जुटाई।

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दहेज में दीं 2200 किताबें (Source: Pixabay)  |  तस्वीर साभार: Representative Image

नई दिल्ली : आमतौर पर एक पिता अपनी बेटी की शादी में दहेज के तौर पर ढेर सारे रुपए, कपड़े, गहने जेवरात, गाड़ियां और सामान देता है, लेकिन एक बेटी ने अपने पिता से रुपयों और गहनों की जगह किताबें मांगी। ये प्रेरक खबर गुजरात के राजकोट से सामने आई है। 

यहां पर लड़की ने अपने पिता से दहेज के तौर पर अपने वजन के बराबर किताबें देने को कही। अपनी बेटी की इस मांग को एक पिता का दिल इनकार नहीं कर पाया और उसने करीब 2200 किताबें उसे दहेज के रुप में दी। इतनी किताबें जुटाने में उसे करीब 6 महीने का वक्त लग गया।  

हरदेव सिंह जड़ेजा जो पेशे से टीचर हैं, उनकी बेटी किन्नारी बा को किताबें पढ़ने का खूब शौक है। यही कारण है कि जब उसकी शादी तय हुई तो उसने अपने पिता से कहा कि उसे दहेज के तौर पर गहने रुपये नहीं बल्कि किताबें दें। 

उसके पिता ने बताया कि उसकी बेटी को बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौक था। उसके घर पर ही 500 किताबों की एक लाइब्रेरी है। जब उसकी शादी वड़ोदरा के इंजीनियर पुरजीत सिंह से तय हुई तो उसने अपने पिता से कहा कि अगर मेरी शादी में मेरे वजन के बराबर किताबें देंगे तो वह बहुत खुश होगी।

इसके बाद उसके पिता हरदेव सिंह अपनी बेटी की इस इच्छा को पूरा करने के लिए जीजान से जुट गए। उनका दामाद पुरजीत सिंह कनाडा में रहता है। हरजीत सिंह ने सबसे पहले अपनी बेटी की पसंद की किताबों की एक लिस्ट बनाई। इसके बाद उन्होंने भारत के अलग-अलग शहरों जैसे दिल्ली, काशी, बेंगलुरू व अन्य शहरों से ये किताबें मंगवाई।

करीब 2200 किताबें इकट्ठी करने में उन्हें 6 महीने लग गए। इसमें इंग्लिश, हिंदी, गुजराती की किताबों के अलावा महर्षि वेद व्यास की किताबें भी शामिल हैं। इसमें बाइबिल और कुरान से लेकर 18 पुराण भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अपनी बेटी के साथ-साथ उन्होंने एक कार भरकर किताबें भी उसके ससुराल में भिजवाईं 

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