Father's Day 2022: 'पिता' ईश्वर के द्वारा दिया गया ऐसा अनमोल तोहफा है, जो अपने बच्चे के लिए बरगद के पेड़ की तरह होता है। जिसकी छांव में हर कठिनाई छोटी पड़ जाती है। अपने बच्चे के लिए पिता हर कष्ट सहने के लिए तैयार खड़ा होता है। बस उसके सामने एक ही लक्ष्य होता है, अपने बच्चे की खुशी। जब हम इमोशनल होते हैं तो हमें मां की याद आती है, लेकिन जब कोई बड़ी मुश्किल आती है तो हम सबसे पहले पिता को ही ढूंढते हैं। जिस तरह मां के प्यार को जताने के लिए इंटरनेशनल 'मदर्स डे' मनाया जाता है, उसी तरह पूरी दुनियाभर में पिता के प्यार को समर्पित 'फादर्स डे' भी मनाया जाता है।
हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को 'फादर्स डे' के रूप में मनाया जाता है। इस बार 19 जून को यानी आज 'फादर्स डे' मनाया जा रहा है। बता दें कि 'फादर्स डे' को मनाने की शुरुआत साल 1910 में हुई थी। इस मौके पर बच्चे अपने पिता को बधाई संदेश भेजते हैं और उनके समर्पण को याद करते हैं। 'फादर्स डे' के मौके पर सोशल मीडिया पर एक दिल छूने वाली कविता वायरल हो रही है, जो लोगों को बहुत पसंद आ रही है। आप भी पढ़िए यह मर्मस्पर्शी कविता-
"पिता, क्या लिखूं तुम्हारे लिए"
पिता,
क्या लिखूं तुम्हारे लिए,
कभी जो समझ ना आये,
आया बस इतना ही समझ,
करते रहे समझौते,
हमारे लिए,
अपनी खुशियों का,
अपनी इच्छाओं का,
करते रहे दमन,
पता नहीं कैसे कंधे हैं,
कभी थकते ही नहीं,
बोझ उठाते,
पिता,
पीता है हलाहल,
शिव की तरह,
कल्याण हेतु करने को,
उत्सर्जन प्राण सतत,
जब डांटते थे,
तो लगता था बुरा,
कि क्यों टोकते हो
हर बात पर ?
ज़रा सी ग़लती पर,
देते हो इतनी सज़ा,
हो कितने निष्ठुर ?
कभी नहीं आती दया ?
आखिर हमारी इच्छाओं का,
नहीं है कोई मूल्य,
हर बात में निर्णय,
क्या उन्हीं का अधिकार है ?
उनके अपने सपनों को,
पूरा करने का माध्यम,
क्या हम हैं?
इन सारे सवालों का ,
जवाब ढूंढ़ते-ढूंढते,
बीत गया बचपन,
संघर्ष के युवा दिनों में,
जब संकल्पों को तोड़ने,
आईं आंधियां,
तब समझ आया कि
क्यों जज्बातों को मारना
सिखाया था,
क्यों अपनी डांट के,
रक्षा कवच से,
बनाया था इतना मजबूत,
वो उनकी निष्ठुरता नहीं,
एक पत्थर को,
एक भव्य मूर्ति बनाने का ,
उनका शिल्पकर्म था,
एक ऐसा शिल्पी,
जो जानता था कि,
बिना चोट मारे,
बन ही नहीं सकती
सुंदर मूर्ति,
निर्णय ज्ञान से नहीं,
लिए जाते हैं अनुभवों से,
क्योंकि ज्ञान किताबी है,
और अनुभव,
संसार की वास्तविकता
का परिणाम,
इसलिए उनका हर निर्णय,
जो लगा था,
उस समय गलत,
हुआ सही साबित,
वक़्त के साथ-साथ,
वे अपने सपने लादते नहीं थे,
बल्कि दिखाते थे सपने,
ताकि कहीं हम,
विश्राम की अंधी गलियों में
खो न जाएं,
आज जब पिता बना,
तो जाना,
हर पिता ऐसा ही होता है,
क्योंकि उसके पास,
सन्तान के सृजन,पुष्पन,
पल्लवन का होता है,
असीम उत्तरदायित्व,
इसलिए नहीं बैठ सकता वो,
कभी चैन से,
आज जाना,
कि मेरे पिता सही थे,
हर कदम पर,
क्योंकि उन्हीं के,
नक़्शे-कदम पर चलकर ही,
उठा पा रहा हूं,
इस उत्तरदायित्व को,
वरना कब के झुक चुके होते,
मेरे कंधे,
जैसे-जैसे बीत रहा है वक़्त,
और आ रही है,
जिंदगी की सांझ नज़दीक,
त्यों-त्यों जान पा रहा हूं,
कि कितना महान
होता है पिता,
क्योंकि पिता ही,
पीता है हलाहल,
चलता है,
अनवरत,
अथक,
अप्रतिहत।।"
इस दिल छूने वाली कविता को नोएडा के असिस्टेंट कमिश्नर (राज्य कर) श्याम सुंदर पाठक 'अनन्त' ने लिखी है और अपने पिता को समर्पित की है। बता दें कि 'फादर्स डे' हर पिता और संतान के लिए खास होता है। इस दिन को खास बनाने के लिए बच्चे कई जतन करते हैं। पिता के प्रति अपना प्यार दर्शाते हुए बच्चे इस दिन उन्हें 'फादर्स डे' की शुभकामनाएं देते हैं। आप भी अपने पापा के लिए यह दिन खास बना सकते हैं।