हर साल 26 जून अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है। इसे नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस भी कहते हैं। यह सबसे पहलीबार 1987 में मनाया गया था जिसका उद्देश्य था नशा से होने वाले दुष्प्रभाव और इसकी आदत छुड़ाने के प्रति लोगों को जागरुक करना। अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस 2020 का थीम है बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान (Better Knowledge for Better Care)
प्राचीनकाल में जिस तरह के नशा का प्रयोग या सेवन किया जाता था उसे सोमरस कहा जाता था। लेकिन समय के साथ-साथ सोमरस की परिभाषा ही बदल गई और इसने खतरनाक नशा का रुप ले लिया। लोग शराब, तंबाकू, सिगरेट से लेकर तरह-तरह के ड्रग्स के आदी होते चले गए और वे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होते चले गए।
इस तरह का नशा उन्हें कई बीमारियों के चपेट में ला दिया यही कारण है कि हर साल करोड़ों लोग ड्रग्स के चंगुल में पड़कर अपनी जान गंवा देते हैं। इसी को खत्म करने की जरूरत महसूस की गई और फिर संयुक्त राष्ट्र ने नशा से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस लेकर आई।
लोग आधुनिक जमाने में अलग-अलग प्रकार के ड्रग्स का सेवन करने लगे हैं और बीमारी का शिकार बन रहे हैं। खतरनाक पहलू तो ये है कि कई बच्चे भी इसके आदी हो रहे हैं और अपना बचपना खो रहे हैं। इससे ना सिर्फ इस पीढ़ी पर इसका खतरनाक असर पड़ रहा है बल्कि आने वाली पीढ़ी पर भी इसका बुरा असर पड़ने की आशंका है।
खतरा यहीं तक सीमित नहीं है, ना केवल लोग नशे का सेवन कर रहे हैं बल्कि इसकी अवैध तस्करी भी कर रहे हैं। इसी को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1987 में एक प्रस्ताव पेश किया कर समाज को नशामुक्त बनाने की पेशकश रखी थी। इसके खतरे को भांपते हुए सभी देशों ने इसे सर्वसम्मति से पास कर दिया और फिर 26 जून 1987 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया गया।
इस दिवस को मनाने के पीछे का लक्ष्य समाज को नशामुक्त बनाना है। इसके अलावा इसकी तस्करी पर भी रोक लगाना अनिवार्य है। यही कारण है कि दुनियाभर में नशा व ड्रग्स तस्करी के खिलाफ जमकर अभियान चलाया जा रहा है और इसके खिलाफ कई कड़े कानून बनाए गए हैं। इस पर पूरी तरह नकेल कसने के लिए समय-समय पर कई तरह के जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं।