यह कोई स्किप्ट या कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। कुत्तों के बारे में कहा जाता है कि वफादार होने के साथ ही वो इशारों को अच्छी तरह से समझ लेते हैं। यह वाक्या एक ऐसे से कुत्ते से जुड़ी हुई है जो थाईलैंड के समुत प्रकान का रहने वाला है। एक दिन की बात है कि वो अपने घर का रास्ता भटक जाता है। बहुत देर तक इधर उधर भटकने के बाद उस क्लिनिक पर दस्तक देता है जहां कभी उसका इलाज हुआ होता है।
वो कुत्ता क्लिनिक पर पहुंचता है लेकिन क्लिनिक का दरवाजा बंद होने की वजह से अंदर दाखिल नहीं हो पाता है। वो भौंकता है और अपने पैरों से शीशे के दरवाजे को पीटता है। आवाज सुनकर क्लिनिक में काम करने वाली एक महिला शीशे के दरवाजे तक आती है और उसे देखती है लेकिन अंदर आने के लिए दरवाजा नहीं खोलती है। यह देखकर कुत्ता बौखला उठता है और वो अपने जबड़े से एक बार फिर शीशे पर वार करता है। यह देखकर वो महिला डॉक्टर से कहती है कि उसे चलकर देखना चाहिए ऐसा लग रहा है कि वो कुत्ता जान पहचान का है।
कुत्ते को क्लिनिक में दाखिला मिलता है और डॉक्टर अपनी रजिस्टर चेक करती हैं। रजिस्टर को चेक करने के दौरान पता चलता है कि उस कुत्ते का इलाज हो चुका है। रजिस्टर के जरिए कुत्ते के मालिक के बारे में पहचान की जाती है और उन्हें बुलाया जाता है। कुत्ते की मालकिन सुनी बुनवारा कहती हैं कि वैक्सीनेशन के लिए वो अपने पेट खीव जर्न को इसी क्लिनिक पर हमेशा लाती थीं और उसे अपना दवाखाना याद था। उनका पेट मंगलवार को गायब हो गया था और वो बेहद परेशान थीं।
दरअसल सुनी रेस्टोरेंट में काम करने के दौरान अपने पेट्स को छोड़ दिया करती थीं। लेकिन मंगलवार को खीव जर्न इधर उधर भागते हुए कहीं दूर चला गया और अपना आशियाना भूल गया। उन्होंने उसे खोजने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहीं। जब क्लिनिक से फोन आया कि वो अपने कुत्ते को ले जा सकती हैं तो उनके लिए वो पल किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं था।