ये दुनिया अजीबोगरीब चीजों से भरी पड़ी है। कई बार तो ऐसी-ऐसी चीजें सामने आती है, जिन पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है। आज हम आपको एक ऐसे ही अजीबोगरीब मामले से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर एक पल के लिए आप जरूर दंग रह जाएंगे। आज कल शायद ही कोई ऐसा होगा जो बिना जूता-चप्पल का रहता हो। लेकिन, भारत में एक गांव ऐसा है जहां जूते-चप्पल पूरी तरह से बैन है। हो सकता है इस बात पर आपको यकीन ना हो रहा हो, लेकिन यह पूरी तरह सच है। तो आइए, जानते हैं उस गांव के बारे में कुछ दिलचस्प बातें...
दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के प्रसिद्ध शहर मदुराई से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव का नाम कलिमायन है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में कोई भी जूता-चप्पल नहीं पहनता। इतना ही नहीं बच्चों को भी लोग चप्पल-जूते नहीं पहनने देते हैं। अगर किसी ने गलती से भी जूते-चप्पल पहन ली तो कड़ी सजा दी जाती है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इस मॉडर्न समय में ऐसा कैसे हो सकता है? या फिर ऐसी क्या बात है जिसके कारण लोग चूते-चप्पल नहीं पहनते हैं? तो हम आपको बता दें कि इस गांव के लोग अपाच्छी नामक देवता की सदियों से पूजा करते आ रहे हैं। लोगों का मानना है कि अपाच्छी देवता उनकी हर तरह से रक्षा करते हैं। उन्हीं के सम्मान में गांव की सीमा के अंदर जूते-चप्पल पहनने पर बैन लगाया गया है।
गांव के बाहर ही पहनते हैं चूते-चप्पल
इतना ही नहीं बाहरी लोगों पर भी यह नियम लागू होता है। कहा यहां तक जाता है कि अगर किसी को बाहर जाना होता है तो वह हाथ में जूते चप्पल लेकर जाता है और गांव की सीमा खत्म होने के बाद उसे पहनता है। हालांकि, यह परंपरा कब से चली आ रही है इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है। लेकिन, पीढ़ी दर पीढ़ी लोग इस परंपरा को दिल से निभा रहे हैं।