Kerala: एक साल तक परिवार ने घर पर रखा था कैद, अब बनने जा रहे हैं देश के पहले ट्रांसजेंडर पायलट

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Updated Oct 13, 2019 | 11:51 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

India's First Transgender Pilot: केरल के त्रिवेंद्रम के रहने वाले एडम हैरी देश के पहले ट्रांसजेंडर पायलट बनने जा रहे हैं। पढ़ें इनकी संघर्ष से भरी कहानी-

India first transgender pilot
भारत का पहला ट्रांसजेंडर पायलट  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • केरल के एडम हैरी बनने जा रहे देश के पहले ट्रांसजेंडर पायलट
  • 20 साल की उम्र में ही परिवार के टॉर्चर से तंग आकर छोड़ दिया था घर
  • ट्रांसजेंडर होने के कारण परवार ने एक साल तक घर में रखा था कैद
  • अब उनके पायलट बनने में केरल राज्य सरकार करेगी उनकी वित्तीय मदद

तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार ने 20 वर्षीय एडम हैरी को देश के पहले ट्रांसजेंडर एयरप्लेन पायलट बनने के लिए ट्रेनिंग देने का फैसला किया है। केरल सरकार का कहना है कि वे पायलट बनने की 20 वर्षीय एडम की ट्रेनिंग का खर्चा राज्य सरकार वहन करेगी।हैरी जिसे उसके परिवार वालों ने त्याग दिया है, उसका लक्ष्य देश का पहला ट्रांसजेंडर पायलट बनने का है।

ऐसा करके वह अपने समुदाय के दूसरे लोगों को अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए हैरी ने बताया कि मैं देश का पहला ट्रांसजेंडर व्यक्ति हूं जिसे प्राइवेट पायलट लाइसेंस दिया जाएगा और मैं कॉमर्शियल पायलट ट्रेनिंग लेने की योजना बना रहा हूं, जिसके लिए सरकार ने मुझे मदद देने का आश्वासन दिया है।  

मैं इसके लिए काफी खुश हूं। मैंने प्राइवेट पायलट ट्रेंनिंग साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से ली है जो एक साल का कोर्स का था। इसके बाद वहां से मैं भारत वापस आया। यहां आने के बाद मेरे माता-पिता को मेरे जेंडर के बारे में पता चला और उन्होंने मुझे घर में कैद कर दिया। उस समय मैं 19 साल का था। करीब एक साल तक मुझे घर वालों ने घर के अंदर कैद कर रखा था। 

हैरी ने आगे बताया कि इस दौरान उसे फिजिकली और मेंटली टॉर्चर किया गया। इसके बाद उसने घर छोड़कर एक नई जिंदगी शुरू करने का फैसला सुनाया। हैरी ने आगे बताया कि वह घर से भागकर एर्नाकुलम पहुंचा जहां पर उसे अपने ही जैसे कई ट्रांसजेंडर मिले। उसने बताया कि उसके पास कुछ भी सामान नहीं था क्योंकि घर से वह बिल्कुल खाली हाथ निकला था।

बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर उसने कई रातें गुजारीं। अपनी जीविका के लिए उसने जूस की दुकानों पर भी काम किया। धीरे-धीरे उसने कई एविएशन एकेडमिक्स संस्थाओं में पार्ट टाइम की नौकरी करनी शुरू कर दी लेकिन जेंडर प्रॉब्लम के कारण उसे बाकियों से बेहद कम सैलरी दी जाती थी। 

जल्द ही हैरी की कहानी मीडिया में सामने आई, इसके बाद उसे बाल कल्याण विभाग से फोन आने लगे और कहा गया कि उसे बेहतर जिंदगी जीने के लिए सोशल जस्टिस डिपार्टमेंट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। इसके बाद उसने सोशल जस्टिस डिपार्टमेंट से संपर्क किया जहां मुझे अच्छी पढ़ाई के लिए एक अच्छी एविएशन एकेडमी को ज्वाइन करने की सलाह दी गई।

मैं इसके लिए बहुत उत्साहित था लेकिन फीस की समस्या आ रही थी। सचिव ने मुझे ट्रांसजेंडर जस्टिस बोर्ड से स्कॉलरशिप के लिए अप्लाय करने को कहा जिसके बाद मुझे स्कॉलरशिप मिली और फिर मेरे सपनों को नई उड़ान मिली। मैंने राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन एंड टेक्नोलॉजी ज्वाइन किया। हैरी ने बताया कि उसे विश्वास है कि वैसे लोग जो उसके समुदाय से संबंध रखते हैं उन्हें अपने सपनों को संघर्ष नहीं करना चाहिए जैसा उसने किया। उन्हें बाकी सामान्य लोगों के जैसे ही सम्मानपूर्वक जिंदगी जीनी चाहिए। 

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