भारत का सबसे अनोखा गांव, जहां के लोगों के पास दो देशों का वीजा, एक में खाते हैं तो दूसरे में सोते हैं

Weird News: पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में मौजूद इस गांव का नाम लोंगवा है। लोंगवा गांव भारत और म्यांमार की सीमा से गुजरती है। यह भारत का आखिरी गांव भी है। इस गांव में कोंयाक आदिवासी के लोग रहते हैं, जिन्हें काफी खूंखार माना जाता है।

Nagaland longwa village where people have two country visa know about shocking facts
भारत का सबसे अनोखा गांव 
मुख्य बातें
  • नागालैंड में मौजूद लोंगवा गांव भारत का सबसे अनोखा गांव
  • इस गांव के लोग एक देश में खाते हैं, तो दूसरे में सोते हैं
  • मुखिया के पास 60 पत्नियां

Ajab Gajab News: जरा सोचिए, कभी कोई व्यक्ति पलक झपकते एक देश से दूसरे देश में जा सकता? यकीनन आपका जवाब ना ही होगा। लेकिन, हमारे देश यानी भारत में एक गांव ऐसा है, जहां के लोग ऐसा करते हैं। इतना ही नहीं गांव के लोग खाते हैं एक देश में और सोते हैं दूसरे देश में। हैरानी की बात ये है कि ऐसा करने के लिए उन्हें अलग से वीजा लेने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। अब इस गांव और सच्चाई को लेकर आपके मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे होंगे। तो चलिए, हम आपको आज इस सच्चाई से रू-ब-रू कराते हैं...

ये तो हम सब जानते हैं भारत को गांवों का देश कहा जाता है। यहां कई तरह के गांव हैं। तकरीबन 70 फीसदी आबादी आज भी गांव में जीवन यापन करती हैं। लेकिन, यहां एक गांव ऐसा है, जो दो देशों के बीच से गुजरती है। घर से लेकर खेत तक दो देशों के बीच है। इतना ही नहीं इस गांव में किसी का किचन एक देश में तो बेडरूम दूसरे देश में है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इस गांव का नाम क्या है और ये कहां पड़ता है। पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में मौजूद इस गांव का नाम लोंगवा है। लोंगवा गांव भारत और म्यांमार की सीमा से गुजरती है। यह भारत का आखिरी गांव भी है। इस गांव में कोंयाक आदिवासी के लोग रहते हैं, जिन्हें काफी खूंखार माना जाता है। इस गांव के लोगों को दोनों में देशों में खुलेआम घूमने की आजादी है। बड़ी बात ये है कि गांव के लोगों को दोनों देशों में घूमने के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं होती है। 

ये भी पढ़ें -  ना तो मॉडल, ना ही एक्ट्रेस, इस महिला पुलिस ऑफिसर को देख थम जाती है लोगों की सांसें, देखें PHOTOS

मुखिया को लेकर भी फेमस है गांव

इस गांव के लोगहे डहंटर होने के लिए जाने जाते हैं। 1960 के दशक तक गांव में सिर का शिकार एक लोकप्रिय प्रथा रही है। गांव के कई परिवारों के पास पीतल की खोपड़ी का हार है, जिसे वे एक महत्वपूर्ण मान्यता के रूप में मानते हैं। इतना ही नहीं इस गांव की एक और अलग पहचान है। इस गांव में वंशानुगत मुखिया हैं, जिनकी 60 पत्नियां हैं। यहां पर अफीम का सेवन भी काफी किया जाता है। यहां इसकी खेती भी होती है और म्यांमार से सीमा पार तस्करी की जाती हैं। हर साल इस गांव में काफी संख्या में लोग घूमने के लिए भी आते हैं।  

अगली खबर