Namibian cheetahs: 70 साल बाद खत्म होगा चीतों का सूखा, स्पेशल विमान-हेलिकॉप्टर से 8000 KM की दूरी तय करेंगे नामीबिया के 8 चीते

Kuno National Park news : दूसरे महाद्वीप से जब जंगली जानवरों को लाया जाता है तो कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाता है। पहला यह कि जिस देश से चीता आ रहा है क्या वह देश अगले कुछ सालों तक चीतों की आपूर्ति करता रहेगा।

 Namibian cheetahs will reach Kuno National Park covering distance of 8000 KM from special aircraft and helicopter
कूनो नेशनल पार्क में रखे जाएंगे नामीबिया के आठ चीते।  
मुख्य बातें
  • करीब 70 सालों के बाद भारत में फिर से नजर आएंगे
  • अफ्रीकी देश नामीबिया से भारत लाए जा रहे हैं आठ चीते
  • इन आठ चीतों को एमपी के कूनो नेशनल पार्क में रखा जाएगा

Namibian cheetahs : भारत में चीतों का सूखा खत्म होने जा रहा है। अफ्रीकी देश नामीबिया से आठ चीते भारत आ रहे हैं। इन आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्ट में रखने की तैयारी पूरी की जा चुकी है। 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। पीएम मोदी इस दिन कूनो नेशनल पार्क में मौजूद होंगे और वे खुद लीवर दबाकर इन चीतों को उनके पिजड़े से बाहर निकालेंगे। कभी भारत को एशियाई चीतों का घर माना जाता था। इनकी संख्या इतनी थी कि चीतों का शिकार करना राजघरानों का शौक हो गया था। राजघरानों की इस शौक की वजह से इन चीतों की संख्या विलुप्त हो गई। देश का आखिरी चीता वर्तमान छत्तीसगढ़ में राजाओं की इसी शौक की वजह से मारा गया। 

राजघरानों के शिकार के चलते विलुप्त हो गए चीते
टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के सचिव एसपी यादव का कहना है कि देश में अंतिम तीन चीतों का शिकार 1947-48 में कोरिया राजघराने ने किया। भारत में अंतिम चीता इसी समय देखा गया था। साल 1952 में भारत सरकार ने चीते को विलुप्त घोषित कर दिया। अब लगभग 70 साल बाद अब चीते को दोबारा देश में लाया जा रहा है। यह ऐतिहासिक समय है। 

Kuno National Park

बीच में भी चीतों को भारत लाने की कोशिश हुई
भारत सरकार ने 1970 के दशक में चीतों को लाने की कोशिश की। ईरान के शाह भारत को चीते देने के लिए तैयार हो गए थे। हालांकि, इसके बदले में शाह को भारतीय शेर चाहिए थे। इसी बीच भारत सरकार ने 1972 में वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट लागू कर दिया। कानूनी अड़चनों की वजह से चीते भारत नहीं आ सके। असल में चीतों की घर वापसी की आवाज 13 साल पहले उठी। सितंबर 2009 में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने राजस्थान के अजमेर में दो दिनों का इंटरनेशनल वर्कशाप रखा। इस वर्कशाप में भारत में चीतों को वापस लाने की मांग की गई। 

इस वजह से चीतों के लिए अफ्रीकी देश को चुना गया 
भारत में चीते लाने के लिए अफ्रीकी महाद्वीप को चुना गया। दूसरे महाद्वीप से जब जंगली जानवरों को लाया जाता है तो कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाता है। पहला यह कि जिस देश से चीता आ रहा है क्या वह देश अगले कुछ सालों तक चीतों की आपूर्ति करता रहेगा। चीतों का जेनेटिक्स, उनका व्यवहार एवं उम्र को भी देखा जाता है। साथ ही नई जगह के माहौल एवं जलवायु से चीते सामंजस्य बिठा पाएंगे या नहीं। इन तमाम मानकों पर नामीबिया के चीते खरे उतरे। इसे देखने के बाद इस अफ्रीकी देश से इन चीतों को भारत लाने का फैसला किया गया। 

namibia cheetah

चीतों के लिए अनुकूल है कूनो पार्क
वाइल्ड लाइफ के डिप्टी डायरेक्टर जोस लुईस का कहना है कि काफी अध्ययन करने के बाद नामीबिया के चीतों को भारत लाने का फैसला किया गया है। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क को इन चीतों के लिए अनुकूल पाया गया है। आगे इन चीतों की संख्या बढ़ने के बाद इन्हें अन्य अभ्यारण्यों में भेजा जाएगा। भारत में चीतों की दोबारा शुरुआत हो रही है। 

namibia cheetah

कानूनी एवं कूटनीतिक लड़ाई के बाद मिली सफलता
इन चीतों को भारत लाने में कई कानूनी मुश्किलें भी सामने आईं। कानूनी एवं कूटनीतिक लड़ाई के बाद भारत को सफलता मिली। केंद्रीय वन मंत्रालय ने 2010 में नामीबिया से चीता लाने की योजना बनाई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में रोक लगा दी। बाद में जनवरी 2020 में शीर्ष अदालत ने अपनी रोक हटा ली। इसके बाद कोरोना महामारी की वजह से चीतों को भारत लाने की योजना में देरी हुई। नामीबिया जब चीतों को देने के लिए तैयार हुआ तो उसके ब्रीड पर विवाद हो गया। दावा किया गया कि आठ में से तीन चीते कैप्टिव ब्रीड के हैं। यानी कि इन्हें कैद में ही बड़ा किया गया है। यही नहीं कूनो पार्क में घुसे तीन तेंदुओं ने भी इन चीतों की राह रोकी। लेकिन इन तमाम विघ्न-बाधाओं को पार कर देश में चीते दोबारा आ रहे हैं। 

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