भुवनेश्वर : महानगरों की चकाचौंध से अलग ग्रामीण जीवन अक्सर सरकारी उदासीनता/उपेक्षा झेलने को मजबूर होता है। ओडिशा में बलनगीर जिले का एक गांव भी कुछ ऐसा ही है, जहां लोग संपर्क साधन जैसी मौलिक आवश्यकता के भी नहीं होने के कारण परेशानी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में उन्होंने सरकार के वादों के पूरा होने और प्रशासन की बाट जोहने की बजाय खुद ही अपनी समस्याओं का समाधान निकालने की ठान ली और उसमें जुट गए।
यहां बात ओडिशा के बलनगीर जिले के तितिलागढ़ ब्लॉक में कुटुराकेंड गांव की हो रही है, जहां स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश के दिनों में जगह-जगह पानी भर जाता है, जिससे लोगों का कहीं भी आना-जाना दुश्वार हो जाता है। इसमें एक जगह ऐसी भी है, जहां नाले पर पुल बनाने की आवश्यकता थी, ताकि लोग बारिश के मौसम में भी आसानी से कहीं आ-जा सके। लेकिन उनका कहना है कि इस मामले में न सरकार ने, न ही प्रशासन ने अब तक उनकी सुनी।
ग्राीमणों के मुताबिक, सरकार हर साल यहां पुल बनाने के वादे करती है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। प्रशासन की बाट जोहने की बजाय अब उन्होंने खुद ही इस दिशा में कोशिश शुरू कर दी है। ग्रामीण मिलकर यहां लकड़ी के पुल बना रहे हैं, ताकि बारिश के दिनों में भी आवाजाही में किसी को परेशानी न हो। इसे प्रशासनिक विफलता करार देते हुए एक ग्रामीण ने कहा, 'बारिश के दिनों में यहां से गुजरना मुश्किल हो जाता है।'
उन्होंने कहा, हर साल सरकार इसे बनाने का वादा करती है, लेकिन अब तक कुछ भी ठोस सामने नहीं आया है। ऐसे में ग्रामीणों ने खुद ही मिलकर यहां लकड़ी के पुल बनाने की शुरुआत कर दी है। समाचार एजेंसी एएनआई ने अपने ट्विटर हैंडल पर इसका वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें स्थानीय ग्रामीण लकड़ी के पुल बनाने देखे जा सकते हैं।
वहीं, मामले के प्रकाश में आने के बाद ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के प्रधान सलाहकार असित त्रिपाठी ने कहा, 'मैं उनके प्रयासों की सराहना करता हूं। ग्रामीणों ने श्रम के साथ-साथ वित्तीय रूप में भी योगदान दिया है। नाला पर बना लकड़ी का पुल अस्थाई है। यहां जल्द ही पुल बनाया जाएगा।'