महीना मार्च का था लेकिन साल अलग था यानी वो साल 2020 का था। डरावना, बेहद डरावना, कोरोना के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन लगाने का फैसला किया और जब देशबंदी हुई तो लाखों लोगों के सपनों पर ब्रेक लग गए। हजारों की संख्या में लोगों की नौकरियां चली गईं। व्यापार पर असर पड़ा। लेकिन कहते हैं ना कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चुनोतियों में भी अवसर ढूंढ लेते हैं। कुछ उन्हीं लोगों में से एक हैं मुंबई के पंकज नेरुकर।
कोरोना से मिली चुनौती को अवसर में बदल दिया
लॉकडाउन से पहले पंकज नेरुकर प्रभादेवी इलाके में खड़पे नाम से रेस्टोरेंट चलाते थे। रेस्टोरेंट का धंधा सड़क पर सरपट दौड़ रहा था। लेकिन कोरोना के डंक ने उन्हें बेपटरी कर दिया। वो मायूस हो गए लेकिन हिम्मत नहीं हारी और अपने बिजनेस को कुछ इस तरह से मुकाम पर पहुंचाया जो आज लाखों लोगों के लिए आदर्श है। कोरोना की वजह से पंकज का बिजनेस जब प्रभावित हुआ तो उनके सामने तरह तरह की मुश्किलें सामने आईं। लेकिन उन दिक्कतों के बीच भी उन्हें खुद के लिए उम्मीद नजर आई। नैनो कार को ही उन्होंने अपने बिजनेस का नया ठिकाना बनाया।
जमा पूंजी पर कोरोना ने मारा डंक, नैनो में मिला मौका
पंकज की पहचान उनके खड़पे रेस्टोरेंट के जरिए पहले से ही थी। उनके पास कस्टमर का बेस था। लिहाजा उन्हें खास तरह की दिक्कत नहीं आई। उनके इस काम में परिवार का भी पूरा सहयोग मिला जिसके बाज वो अपने बिजनेस को जमाने में कामयाब रहे। बताया जाता है कि पंकज शेफ का काम भी कर चुके थे। लेकिन वो नौकरी से इतर भी कुछ करना चाहते थे और उसके लिए रेस्टोरेंट से बेहतर उनके लिए कोई दूसरा काम नहीं था। वर्ष 2019 में उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी रेस्टोरेंट में लगा दी। उनका धंधा भी चल निकला। लेकिन कोरोना वायरस ने उनके धंधे पर डंक मार दी।