नई दिल्ली: 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, इस खास मौके पर पीएम मोदी भगवान रामलला के लिए कुछ खास सौगात लेकर आए थे, बताते हैं कि ये चांदी का कुंभ कलश है जिसे रामलला को भेंट करना था लेकिन बताते हैं कि उसे वो अयोध्या में अपनी कार में ही भूल गए, मीडिया सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी फिर वापस जाकर इसे लेकर आए और रामलला को अर्पण किया।
बताते हैं पीएम मोदी जब अयोध्या पहुंचे तो वो कार से उतरकर आगे बढ़ गए थोड़ा आगे जाकर उन्हें याद आया तो वो वापर कार की तरफ लौटे ये देखकर वहां सिक्योरिटी अफसर चौंक गए खैर वो वापस अपनी कार से चांदी का कुंभ कलश लेकर आए और फिर भूमि पूजन किया, इससे पहले, प्रधानमंत्री ने हनुमानगढ़ी जाकर बाल हनुमान का दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया।
बताते हैं कि भूमिपूजन में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और यूपी सीएम योगी और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सोने का सिक्का राम मंदिर की नींव में अर्पण किया, पीएम मोदी ने इस मौके पर रामलला के सामने दंडवत प्रणाम कर भगवान रामलला का आशीर्वाद लिया। इस मौके पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं। कोई काम करना हो, तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं।
आप भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए। इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-“न्राम सदृशो राजा, प्रथिव्याम् नीतिवान् अभूत”॥ यानि कि, पूरी पृथ्वी पर श्रीराम के जैसा नीतिवान शासक कभी हुआ ही नहीं! श्रीराम की शिक्षा है-“नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना”॥ कोई भी दुखी न हो, गरीब न हो। श्रीराम का सामाजिक संदेश है- “प्रहृष्ट नर नारीकः,समाज उत्सव शोभितः”॥ नर-नारी सभी समान रूप से सुखी हों। श्रीराम का निर्देश है- “कच्चित् ते दयितः सर्वे, कृषि गोरक्ष जीविनः”। किसान, पशुपालक सभी हमेशा खुश रहें। श्रीराम का आदेश है-“कश्चिद्वृद्धान्चबालान्च, वैद्यान् मुख्यान् राघव। त्रिभि: एतै: वुभूषसे”॥ बुजुर्गों की,बच्चों की, चिकित्सकों की सदैव रक्षा होनी चाहिए। श्रीराम का आह्वान है- “जौंसभीतआवासरनाई।रखिहंउताहिप्रानकीनाई”॥ जो शरण में आए,उसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है। श्रीराम का सूत्र है- “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”॥ अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। और भाइयों और बहनों, ये भी श्रीराम की ही नीति है- “भयबिनुहोइन प्रीति”॥ इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति भी बनी रहेगी।