Namibian cheetahs : पिंजरे का लीवर खुद घुमाएंगे PM मोदी, फिर नामीबिया के चीतों से गुलजार होगा कूनो नेशनल पार्क 

Namibian cheetahs news : नामीबिया के इन चीतों का स्वागत करने के लिए कूनो नेशनल पार्क में विशेष तैयारियां की गई हैं। देश और मध्य प्रदेश इन चीतों का स्वागत करने के लिए बाहें फैलाए खड़ा है। कूनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित है। इसकी भौगोलिक स्थिति भी नामीबिया की तरह है।

PM Modi will rotate lever of cage,  Namibian cheetahs will enhance beauty of Kuno National Park
17 सिंतबर को कूनो नेशनल पार्क में दाखिल होंगे नामीबिया के 8 चीते। 
मुख्य बातें
  • पहले इन चीतों को पार्क में एक महीने तक क्वरंटाइन में रखा जाएगा
  • वेटरनरी डॉक्टर्स इन चीतों की सेहत की लगातार निगरानी करेंगे
  • क्वरंटाइन में इन चीतों को छोटे जानवरों का मांस परोसा जाएगा

Namibian cheetahs : भारत में चीतों का लंबा इंतजार खत्म होने जा रहा है। करीब 70 सालों के बाद देश के रिजर्व चीतों से गुलजार होंगे। नामीबिया के आठ चीते 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंच रहे हैं। ये चिड़ियाघर वाले नहीं बल्कि जंगल वाले चीते हैं। इन चीतों का स्वागत करने के लिए मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क सज-धज कर तैयार हो गया है। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के दिन चीतों का यह इंतजार खत्म हो रहा है। दो चार नहीं बल्कि आठ चीतों का समूह अफ्रीकी देश नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंचने वाला है। देश का 70 साल का इंतजार पीएम के 72वें जन्मदिन पर खत्म होने जा रहा है। 
 
पिंजरे का लीवर घुमाएंगे PM मोदी 
इन चीतों का स्वागत करने के लिए कूनो नेशनल पार्क में विशेष तैयारियां की गई हैं। देश और मध्य प्रदेश इन चीतों का स्वागत करने के लिए बाहें फैलाए खड़ा है। कूनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित है। करीब 8000 किलोमीटर की यात्रा स्पेशल विमान एवं हेलिकॉप्टर से तय करते हुए ये आठ चीते नामीबिया की राजधानी विंधोक से कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे। इनमें पांच मादा और तीन नर चीते शामिल हैं। कूनो पार्क में पहले चीतों को रिमोट के जरिए छोड़ने की तैयारी थी लेकिन अब पीएम मोदी खुद पिंजरे के लीवर को घुमाएंगे और चीते बाहर आ जाएंगे। पीएम मोदी के मंच से महज 50 फीट की दूरी पर इन चीतों के लिए इंक्लोजर में क्वरांटीन सेंटर बने हैं। 

Kuno National Park

एक्लेमेटाइज होने के बाद सॉफ्ट रिलीज होंगे चीते
डीजी फॉरेस्ट सीपी गोयल का कहना है कि इन जानवरों के लिए क्वरंटाइन केंद्र बंद जैसी कोई जगह नहीं है बल्कि 1500 वर्ग मीटर का एक ओपन एरिया है जिसमें ये चीते रहेंगे। इसमें पानी का स्रोत बना हुआ है। चीतों को बाहर से खाना दिया जाएगा। इसमें एक्लेमेटाइज होने के बाद हम इन्हें सॉफ्ट रिलीज कर देंगे। सॉफ्ट रिलीज में इन्हें .7 से एक किलोमीटर वर्ग मीटर के दायरे में छोड़ा जाएगा। यहां ये चीते जानवरों का शिकार कर पाएंगे। जब चीतों के बारे में हमें पता चल जाएगा कि उनके शरीर एवं व्यवहार में कोई दोष नहीं है तब हम उन्हें खुले जंगल में छोड़ देंगे। इसमें आम तौर पर एक से दो महीने का समय लगता है। 

  • पहले इन चीतों को एक महीने तक क्वरंटाइन में रखा जाएगा
  • नर और मादा चीतों को अलग-अलग रखा जाएगा
  • वेटरनरी डॉक्टर्स इन चीतों की सेहत की लगातार निगरानी करेंगे
  • क्वरंटाइन में इन्हें छोटे जानवरों का मांस परोसा जाएगा
  • एक महीने के बाद इन्हें दूसरे लेवल के बाड़े में छोड़ा जाएगा
  • दूसरे लेवल के बाड़े का एरिया करीब 500 हेक्टेयर का होगा
  • इस बाड़े में ये चीते चहलकदमी कर पाएंगे लेकिन लंबी छलांग नहीं लगा पाएंगे

इन चीतों को आप कब देख पाएंगे?
एक अक्टूबर से कूनो नेशनल पार्क आम लोगों एवं पर्यटकों के लिए खोल दिया जाता है। आम लोग इन चीतों को कब देख पाएंगे, अभी इसके बारे में कुछ कहना थोड़ा मुश्किल है। नवंबर के दूसरे सप्ताह में इन्हें 500 हेक्टेयर के बाड़े में छोड़े जाने की अभी योजना है। पार्क के अधिकारियों की मानें तो नवंबर महीने में इन्हें देखा जा सकता है। माहौल से पूरी तरह घुल-मिल जाने के बाद इन चीतों को खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा। फिर जंगल सफारी के दौरान पर्यटक इन चीतों को देख पाएंगे। 

Kuno National Park

कूनो नेशनल पार्क ही चीतों का घर क्यों?
देश में तमाम नेशनल पार्क हैं जहां इन चीतों को रखा जा सकता है लेकिन सवाल है कि इनके लिए मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क को ही क्यों चुना गया? तो इसका जवाब यह है कि चीतों को घास वाले थोड़े ऊंचे मैदानी इलाकों में रहना पसंद है। खुले जंगल में ऊंचे पेड़ों के बीच इन्हें रहने में दिक्कत होती है। इन्हें थोड़ा सूखा और उमस पसंद है। तापमान बहुत ठंडा न हो और बारिश भी बहुत ज्यादा न होती हो। इन चीतों के लिए देश के 10 नेशनल पार्क का सर्वे किया गया। इन सभी जगहों का आंकलन करने के बाद विशेषज्ञों ने पाया कि मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क ही इन चीतों के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त है। 

गोयल का कहना है कि दूसरी जगह से आने वाले चीतों को उन्हें वहां की तरह का ही इकोसिस्टम देने की कोशिश की जाती है ताकि नई जगह पर खुद को ढालने में उन्हें कोई दिक्कत न हो। हमने पाया कि नामीबिया और कूनो की इकोलोजी लगभग-लगभग समान है। 

कूनो पार्क की भौगोलिक स्थिति इनके अनुकूल है
कूनो पार्क की अगर बात करें तो इसके बीच से कूनो नदी बहती है। इसके इर्द-गिर्द पहाड़ियां हैं। पास ही स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व से इसकी सीमा लगती है। साथ ही शिवपुरी के जंगल हैं। इस इलाके के पास ही चंबल नदी बहती है। पूरे इलाके में लोगों का आना-जाना बेहद कम है। कूनो नेशनल पार्क 748 वर्ग किलोमीटर का इलाका है। यहां अधिकतम औसत तापमान 42 डिग्री और न्यूनतम तापमान 6-7 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहता है। इलाके में सालभर में 750 मिलीमीटर बारिश होती है। 

Kuno National Park

फूड चेन में सबसे ऊपर है चीता
चीता अंब्रेला प्रजाति का जीव है। यानी फूड चेन में सबसे ऊपर मौजूद है। इसके न आने पर फूड चेन का संतुलन बिगड़ने का खतरा था। पहली बार में ये आठ चीते आ रहे हैं। रिजर्व में कितने शिकारी जानवर होने चाहिए, इसका भी एक गणित होता है। किसी भी रिजर्व में बड़े शिकारी जानवरों को तब लाया जाता है जब उसके लिए पर्याप्त मात्रा में शिकार उपलब्ध हो। शिकारी जानवरों की संख्या के अनुरूप रिजर्व का आकार घटाया बढ़ाया जाता है। चीता आम तौर पर 60 किलोग्राम तक के जानवरों का शिकार करता है। इसे देखते हुए कूनो नेशनल पार्क में 21 चीते बड़े आराम से रह सकते हैं। पार्क का प्रबंधन यदि सही तरीके से किया गया तो यहां 36 चीते रखे जा सकते हैं।

Namibian cheetahs: 70 साल बाद खत्म होगा चीतों का सूखा, स्पेशल विमान-हेलिकॉप्टर से 8000 KM की दूरी तय करेंगे नामीबिया के 8 चीते

केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव का कहना है कि अभी नामीबिया से आठ चीते आ रहे हैं लेकिन भविष्य में दक्षिण अफ्रीका से भी चीते मंगाए जाएंगे। इनकी संख्या 25 तक ले जानी है।

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