भारत में बुलेट ट्रेन का सपना जल्द पूरा होने जा रहा है पहली बुलेट ट्रेन (Bullet Train) अहमदाबाद और मुंबई के बीच दौड़ेगी, इस ट्रेन की खास बात है कि यह समुद्र के नीचे से भी गुजरेगी पिछले महीने ही भारत स्थित जापानी दूतावास ने भारत के लिए तैयार की गई ई5 सीरीज शिनकान्सेन (जापान की बुलेट ट्रेन) की तस्वीरें जारी की थी।
जापान की इस बुलेट ट्रेन को मॉडीफाई करके मुंबई-अहमबाद हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट पर बुलेट ट्रेन के तौर पर चलाया जाएगा। अहमदाबाद से मुंबई के बीच 508 किलोमीटर के बीच बुलेट ट्रेन गलियारे में 12 स्टेशन होंगे।
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का किराया करीब 3000 रुपए होगा।इस कॉरिडर पर ट्रेन की टॉप स्पीड 350 किमी प्रति घंटा होगी इससे दोनों शहरों के बीच की दूरी को दो घंटे से भी कम समय में तय किया जा सकेगा अभी फिलहाल इसमें सात घंटे लगते हैं।
कहा जा रहा है कि बुलेट ट्रेन सुबह छह बजे से देर रात 12 बजे तक 70 फेरे लगाएगी एक अनुमान के अनुसार इस परियोजना को दिसंबर 2023 तक पूरा किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।
सात भारतीय कंपनियों ने प्री-बिडिंग स्टेज में महत्वाकांक्षी मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए समुद्र के नीचे सुरंग के निर्माण में रुचि दिखाई है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉपोर्रेशन लिमिटेड के मुताबिक समुद्र के नीचे सुरंग को बनाने के लिए सात भारतीय कंपनियों ने बोली में हिस्सा लिया।
बुलेट ट्रेन परियोजना में महाराष्ट्र में बीकेसी से कल्याण शिल्पाता तक 21 किमी लंबा अंडरग्राउंड कॉरिडोर होगा।इस अंडरग्राउंड कॉरिडोर का लगभग 7 किमी हिस्सा ठाणे क्रीक के नीचे है।
इसमें से 1.8 किमी लंबे खंड को समुद्र के तल के नीचे विकसित किया जाना है, जबकि बाकी हिस्से को क्रीक के दोनों ओर मैंग्रोव मार्शलैंड पर बनाया जाना है।
पिछले साल, एनएचएसआरसीएल ने 64 प्रतिशत एमएएचएसआर संरेखण के निर्माण के लिए कांट्रैक्ट दिए, जिसमें वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, आनंद/नडियाद में पांच एचएसआर स्टेशन, सूरत में ट्रेन डिपो और 350 मीटर की एक पर्वत सुरंग का निर्माण शामिल है।
बुलेट ट्रेन के 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की संभावना है, जो लगभग दो घंटे में 508 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
अभी मुंबई-अहमदाबाद के लिए ट्रेन को सात घंटे और विमान को लगभग एक घंटे का समय लगता है। 14 सितंबर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने 1.08 लाख करोड़ रुपये की एचएसआर परियोजना की आधारशिला रखी थी।