देख लीजिए, यह है देश का वह मंदिर, जहां कर्ज-लोन और बकाए से पीछा छुड़ाने आते हैं भक्त!

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अभिषेक गुप्ता
अभिषेक गुप्ता | Principal Correspondent
Updated Jul 07, 2022 | 20:38 IST

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां लोग परिक्रमा करने भी आते हैं। श्रावण मास और नागपंचमी पर यहां खासा भीड़ होती है।

Rin Mukteshwar Mahadev Mandir, MP, Viral News
यह मंदिर मध्य प्रदेश में है।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • बाबा शिव का मंदिर है बेहद प्राचीन
  • दूर-दूर से दर्शन को आते हैं श्रद्धालु
  • मान्यता- ऋणों से मिलती है यहां मुक्ति

12 ज्योतिर्लिंग के अलावा भगवान भोलेनाथ के यूं तो देश में कई प्राचीन और प्रख्यात मंदिर हैं, पर इनमें से एक धर्मस्थल ऐसा भी है, जहां लोग कर्ज से मुक्ति पाने के लिए दुआएं और मन्नतें मांगते हैं। यही वजह है कि इस मंदिर को ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां विराजमान ऋणमुक्तेश्वर महादेव (बाबा शिव) लोगों के कर्ज को हर लेते हैं और उन्हें इस आर्थिक संकट से मुक्ति दिलाते हैं। 
 
यह मंदिर मध्य प्रदेश के कुकर्रामठ गांव में है। कहा जाता है कि इसका निर्माण 1000 ईसवी के आसपास हुआ था, जबकि कई लोगों का मानना है कि यह आठवीं सदी के समय काल का है। मंदिर कल्चुरी कालीन भी बताया जाता है। 

बताया जाता है कि कल्चुरी नरेश कौशल्या देव के सहयोग से तत्कालीन शंकराचार्य ने गुरु ऋण से मुक्त होने के लिए यह मंदिर बनवाया था। उसी समय से इसे ऋणमुक्तेशवर मंदिर कहा जाता है।

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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कभी यहां पर छह मंदिरों का समूह हुआ करता था, पर अब सिर्फ एक ही मंदिर बचा है। मौजूदा समय में शेष मंदिरों की स्थिति खंडहर जैसी हो चुकी है। मुख्य मंदिर विशाल चबूतरे पर बना हुआ है, जहां एक विशाल शिवलिंग है। बाहर उनके गण नंदी की मूर्ति भी है। 

प्राचीन स्मारक पुरातत्वीय स्थल सुरक्षा अधिनियम 1958 के तहत मंदिर संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है। फिलहाल इसका रखरखाव सूबे का पुरातत्व विभाग करता है। मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। 

लोगों का मानना है कि यहां जो कोई भी सच्चे मन से भगवान को मानता और पूजता है, उस व्यक्ति को मातृ ऋण, पितृ ऋण, देव ऋण और गुरु ऋण से मुक्ति मिलती है। दूर-दराज से श्रद्धालु यहां पर खास पूजा कराने आते हैं। सोमावार के अलावा श्रावण मास, महाशिवरात्रि और नागपंचमी के अलावा अन्य त्यौहारों पर भी यहां भारी भीड़ होती है। यहां लोग परिक्रमा करने भी आते हैं।

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