अजब: देवी को खुश करने के लिए भारत के इस मंदिर में चढ़ाया जाता है जूता-चप्पल, पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएं

वायरल
आदित्य साहू
Updated Aug 05, 2022 | 13:39 IST

Unusual Chadava in Temples: आपने अक्सर देखा होगा कि किसी भी मंदिर में प्रवेश से पहले ही लोग अपने चप्पल-जूते बाहर उतार देते हैं। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान को जूते-चप्पल प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं।

MANDIR
मंदिर की अजीबोगरीब परंपरा  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • मध्य प्रदेश के भोपाल में है अनोखा मंदिर
  • मंदिर में आने वाले भक्त चढ़ाते हैं जूता-चप्पल
  • प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है जूता-चप्पल

Unusual Chadava in Temples: भारतीय संस्कृति की दुनियाभर में एक अलग पहचान है। अपनी धार्मिक संस्कृति की वजह से भी भारत पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। भारत में धार्मिक स्थलों को चमत्कारी माना जाता है। देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जो अपने अनोखे रीति-रिवाजों के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। भारतीय लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान को अर्पण करते हैं। इसके लिए मंदिरों में फल-फूल, प्रसाद और मिठाई का भोग लगाया जाता है।

मंदिर की अजीबोगरीब परंपरा

आपने अक्सर देखा होगा कि मंदिर में प्रवेश से पहले ही लोग अपने चप्पल-जूते बाहर उतार देते हैं। देश में कई मंदिर तो ऐसे हैं, जहां गेट से काफी पहले ही चप्पल-जूते उतरवा दिए जाते हैं। इसके अलावा बेल्ट और पर्स भी नहीं लेकर जा सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में एक ऐसा मंदिर हैं, जहां भक्त चढ़ावे के रूप में मिठाई और फल-फूल नहीं बल्कि भगवान को जूता-चप्पल चढ़ाते हैं। इसी वजह से यह मंदिर काफी अनोखा माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने पर मनवांछित फल प्राप्त होता है और सारी मनोकामना पूरी होती है।

ये भी पढ़ें- अजब: समुद्र में दो खंभो पर बसा है यह अनोखा देश! रहते हैं सिर्फ 27 लोग, ऐसे करते हैं जीवन यापन

भोपाल का जीजीबाई मंदिर

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक मंदिर स्थित है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां आने वाले देवी को खुश करने के लिए जूता-चप्पल का प्रसाद चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि जब भक्त गर्मी के दिनों में यहां दर्शन के लिए आते हैं, तो जूते-चप्पल चढ़ाकर जाते हैं। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि गर्मी के दिनों में जीजी बाई मंदिर में आकर भक्त देवी जी को चश्मा और टोपी जैसी चीजें भी चढ़ाकर जाते हैं। जो भक्त यहां आने के बाद जूता-चप्पल नहीं चढ़ाते हैं, उनकी धार्मिक यात्रा अधूरी मानी जाती है।

अगली खबर