नई दिल्ली : भारतीय वन्यजीव अभ्यारण्य में अब अफ्रीकी चीते की झलक देखने को मिलेगी। भारत में इस चीता को लाने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह अपने किसी उचित प्राकृतिक वन्यजीव अभ्यारण्य में अफ्रीकी चीते को रख सकती है। साथ ही कोर्ट ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) का मार्गदर्शन करने के लिए तीन सदस्यों की एक समिति बनाई। यह समिति प्रत्येक चार माह में उसे रिपोर्ट सौंपेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीता लाए जाने की प्रक्रिया का वह निगरानी भी करेगा।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि देश में भारतीय चीता विलुप्ति की कगार पर हैं ऐसे में उसे नामिबीया से अफ्रीका से चीता लाने और उन्हें अपने यहां रखने की अनुमति मिलनी चाहिए। एनटीसीए की इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।
शीर्ष अदालत ने अफ्रीकी चीता लाने की प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए तीन सदस्यों की एक समिति बनाई है। इस समिति में भारत वन्यजीव के पूर्व निदेशक रंजीत सिंह, भारत वन्यजीव के डीजी धनंजय मोहन और वन्यजीव के डीआईजी शामिल हैं। इस मामले पर फैसला लेने पर एनटीसीए का मार्गदर्शन पर्यावरण एवं वन मंत्रालय करेगा।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली जस्टिस बीआर गवई एवं जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने कहा कि अफ्रीका चीता भारत लाए जाने की इस योजना की निगरानी कोर्ट करेगा और समित प्रत्येक चार महीने के बाद अपनी रिपोर्ट उसे सौंपेगी।
कोर्ट ने कहा कि अफ्रीकी चीते को अभ्यारण्य में रखने के बारे में फैसला एक सर्वे के बाद लिया जाएगा। चीते को किस अभ्यारण्य में रखना सबसे उपयुक्त होगा इस बारे में विशेषज्ञों की समिति एक सर्वे करेगी और इस बारे में एनटीसीए को बताएगी।