नई दिल्ली : लीगल असिस्टेंट ने इस साल करीब 600 जगहों पर नौकरी के लिए आवेदन दिए लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इस साल की शुरुआत से लेकर उसे अब तक एक भी जॉब नहीं मिली। सिडनी की महिला सिनीड सिम्पकिन ने एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया। एबीसी को दिए इंटरव्यू में उसने बताया कि उसके आत्म सम्मान के लिए ये एक बहुत बड़ा चोट था।
उसने बताया कि इस दौरान मैं कई बार डिप्रेशन में चली गई थी। मैं अपना जीवन चलाने के लिए एक नौकरी चाहती थी और मैं ऐसा नहीं कर पा रही थी।
उसने बताया कि अब उसे नहीं लगता कि वह घर लेने के अपने सपने को पूरा कर पाएगी। उसे लगता है कि अब वह पूरी जिंदगी नौकरी की तलाश करते रह जाएगी। बता दें कि यह केवल सिनीड की कहानी नहीं है। ऑस्ट्रेलिया में डूबती अर्थव्यवस्था के कारण बड़ी संख्या में लोग जॉबलेस हो रहे हैं।
शुरुआत में फिटनेस, एंटरटेनमेंट, हॉस्पीटैलिटी, ट्रैवल इंडस्ट्रीज ठप हुई और अब अकाउंटिंग, रिटेल और मीडिया सेक्टर्स भी बंद होने की कगार पर हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी देश की इकोनॉमी और भी बदतर होगी।
ऑस्ट्रेलिया में इससे पहले 1991 में मंदी आई थी। उस दौरान भी देश की आर्थिक अवस्था बद से बदतर हो गई थी। आर्थिक अवस्था में सुधार लाने में देश को करीब एक दशक लग गए थे। धीरे-धीरे देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ गई थी लेकिन इस कोरोना महामारी ने सारे प्रयासों को फिर से विफल कर दिया और देश वापस से दशकों पुराने अपनी अवस्था में आ गया है।
2008 से 2018 तक के दशक में बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरियां पाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। कहा जा रहा है कि जिस तरह की मंदी ऑस्ट्रेलिया में अभी आई है उससे निबटने के लिए देश को करी से करीब तीन दशकों तक की मेहनत करनी पड़ सकती है।