नई दिल्ली। आज कोरोना के खिलाप इस जंग में हर कोई अपनी तरफ़ से कुछ ना कुछ प्रयास कर ही रहा है। फिर चाहे डॉक्टर हों पुलिसकर्मी हों या फिर आमजन के साथ साथ देश के उद्योगपति।हर कोई अपनी क्षमता के हिसाब से विपदा की इस घड़ी में अपना सहयोग दे रहा है।
फिर इस कठिन समय में हमारे देश का युवा या कह लीजिए कि स्टार्टअप पीढ़ी कैसे पीछे रह सकती थी।
कोरोना काल में बड़ी पहल
इसी कड़ी में भारत का एक यूथ स्टार्टअप “कॉलेज टिप्स.इन“ एक अनोखे आइडिया पर काम कर रहा है। जिसका नाम है CT Care वालंटियर प्रोग्राम।इसके फाउंडर विपिन त्रिपाठी से इस बारे में बात की तो उनका कहना था कि “हमने सोचा कि क्यूँ ना भारत के सभी छात्रो और युवाओं का डेटा एक जगह इकट्ठा किया जाए...जिसमें वो सभी युवा शामिल हों जो किसी ना किसी तरह एक वालंटियर बन कर कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में समाज और देश की मदद करना चाहते हैं।”
जब हमने ये जानने कि कोशिश करी कि ये CTCare किस तरह काम करेगा और कैसे स्टूडेंट्स इससे जुड़ पाएंगे तो आगे वो बताते हैं। इसके लिए आपको सिर्फ़ अपनी सहूलियत के हिसाब से, आप जिस फ़ील्ड में काम करना चाहते हैं उसे चुन कर खुद को वेबसाईट www.collegetips.in पर जाकर रजिस्टर करना है...इसके बाद हम आपका ये डेटा सेंट्रल / स्टेट / लोकल ऑथोरिटीस के साथ साथ कुछ समाजसेवी संस्थाओं व एन॰जी॰ओ॰ के साथ शेयर करेंगे।जिससे वो आपको आपके द्वारा चुनी हुई फ़ील्ड में से आपकी पसंद का काम दे सकें।
आप खुद को नीचे दिए हुए कामों में से किसी के लिए भी रजिस्टर कर सकते हैं:
विपिन त्रिपाठी बताते हैं कि इस प्रोग्राम को लांच करते ही हमको युवाओं ओर स्टूडेंट्स का ज़बरदस्त रेस्पॉन्स मिला। अगर हम आंकड़ों की बात करें तो शुरुआती 3 दिनों में ही 11,000 से ज़्यादा लोगों ने खुद को इस नेक काम के लिए रजिस्टर किया। जो सच में किसी करिश्में से क़म नही है। आगे कि योजना के बारे में पूछने पर वे बताते हैं कि ‘अभी हमारा पूरा ध्यान सिर्फ़ इस बात पर है कि हम कैसे अपने वालंटियर्स के साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकते हैं और देश को इस संकट की घड़ी से निकाल कर आगे ले जा सकते हैं।’
क्या है कॉलेज टिप्स
कॉलेज टिप्स एक यूथ स्टार्टअप है जिसको भोपाल निवासी इंजीनियरिंग ड्रॉपआउट विपिन त्रिपाठी ने कॉलेज स्टूडेंट्स की लाइफ आसान और हैप्पनिंग बनाने के लिए मई 2017 में शुरू किया था।आज ये स्टार्टअप भोपाल के साथ साथ मुंबई, दिल्ली, पुणे और इंदौर में अपने 200 से ज़्यादा साथियों के साथ अब तक 25 लाख से ज़्यादा स्टूडेंट्स की जिंदगी को प्रभावित कर चुका है। और इस साल के अंत तक रायपुर, जयपुर, अहमदाबाद, ग्वालियर व गोवा के साथ साथ देश के बाहर हंगरी में भी अपने पैर पसारने लिए तैयार है।