कहते हैं कि शादी ऐसा लड्डू है जो खाए वो पछताए जो ना खाए वो भी पछताए..लेकिन उस स्थिति को क्या कहेंगे जहां ये आपको जबरन गुंडेई के दम पर खिलाया जाए, आपकी मर्जी के विरूद्ध खिलाया जाए, जी हां हम बात कर रहे हैं 'पकड़ौआ' या पकड़वा विवाह की..जो बिहार के कुछ जिलों में बेहद पॉपुलर हैं और ये पिछले काफी समय से चला आ रहा है, हालांकि समय बदलने के साथ इस प्रथा पर काफी रोक भी लगी है लेकिन अभी भी ये जारी है, इसे फोर्स मैरिज भी कहा जाता है क्योंकि इसमें इच्छा के बगैर जबरन शादी के लिए मजबूर किया जाता है।
बताते हैं कि करीब 1980 के के दशक में बिहार के कुछ खास जिलों जिसमें बेगुसराय, लखीसराय, मुंगेर,मोकामा, जहानाबाद, गया आदि के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं वहां पर इसका ज्यादा ही जोर था वहां कई ऐसे गिरोह भी थे जो इसी काम में लिप्त थे और वहां लोग इनसे खासा खौफ खाते थे।
'पकड़ौआ' या पकड़वा विवाह यानि ऐसी शादी वो विवाह जिसमें शादी योग्य लड़के का अपहरण करके उसकी जबरन शादी करवाई जाती है उसे मार-पीट के बल पर या डरा-धमकाकर शादी करा दी जाती थी, कुछ साल पहले इसी मसले पर पर एक टीवी सीरियल भी भाग्यविधाता नाम से आया था।
लोग बताते हैं कि इन पकड़ौआ विवाह को कुछ साल बीतने के बाद मान्यता मिल जाती है बताते हैं कि इसका इतना खौफ था कि बकायदा छात्र, नौकरीपेशा लड़कों को खास हिदायत दी जाती थी कि वो शादी के सीजन में घर से बाहर ना निकलें और निकलें भी तो सावधानी के साथ..
आलम ये था कि बाकायदा इसके लिए गिरोह चलते थे और शादी के सीजन में इनकी बहुत डिमांड रहती थी। 'पकड़ौआ' विवाह के मामले बेगुसराय में काफी दर्ज किए गए थे, बताते हैं इसके लिए बकायदा गिरोह थे जो इसी काम में लिप्त थे जो इंटरमीडिएट और मैट्रिक की परीक्षा देने वाले नाबालिग लड़कों से लेकर नौकरी करने वाले नौजवानों की जानकारी रखते थे और उनका अपहरण कर उनका 'पकड़ौआ' विवाह करा देते थे।
बताते हैं कि इस शादी में आनन-फानन में मंडप तैयार किया जाता है और लड़की को दुल्हन की तरह तैयार कर उसकी मांग किडनैप कर लाए लड़के से भरवा दी जाती है।
ऐसी शादी के लिए ना ही लड़का मानसिक तौर पर तैयार होता है ना ही लड़की बल्कि कभी-कभी तो नाबालिगों की भी इसी तरह की शादी करवा दी जाती है।
शादी हो जाने के बाद दोनों को साथ निभाने की कसमें खिलायी जाती हैं शादी के कुछ दिनों बाद लड़के को छोड़ दिया जाता है, जिसके बाद वह घर पहुंचकर जानकारी देता है।
बताते हैं कि थानों में पहले अपहरण की घटनाएं दर्ज तो होती हैं मगर बाद में वर-वधू पक्ष के बीच समझौता हो जाने के बाद केस को खत्म कर दिया जाता है।