मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है जहां एक महिला नसबंदी कराने के दो साल बाद फिर से गर्भवती हो गई। इसके बाद मामला अब उपभोक्ता अदालत तक पहुंच गया है जहां महिला ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव पर मुकदमा दर्ज कराया है और कहा है कि उसे 11 लाख रुपये बतौर हर्जाना दिया जाए क्योंकि वह पांचवे बच्चे के लालन-पोषण करने की स्थिति में नहीं है।
2019 में कराई थी नसंबदी
मुजफ्फरपुर के मोतीपुर प्रखंड की रहने वाली फुलकुमारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसने 27 जुलाई 2019 को सरकारी अस्पताल में परिवार नियोजन कार्यक्रम के नसबंदी कराई थी और इसके बाद सरकार द्वारा बताए गए हर दिशा निर्देश का पालन किया था। महिला के पहले से ही चार बच्चे थे और आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से महिला के सामने दिक्कतें आ रही थीं। नसबंदी के दो साल बाद महिला पांचवी बार फिर से गर्भवती हो गई। ऐसे में उसके सामने मुसीबतें और बढ़ गई।
दर्ज कराया मुकदमा
इसके बाद महिला ने कानूनी रास्ता अख्तियार किया और मामले को उपभोक्ता अदालत में ले गईं। जिला उपभोक्ता अदालत में मामला दर्ज हो गया है जिस पर 16 मार्च को सुनवाई होनी है। प्रधान सचिव (स्वास्थ्य विभाग) के अलावा तीन और लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया गया है। फुलकुमारी के पहले से चार बच्चे हैं और वह पांचवां बच्चा नहीं चाहती थीं। फुलकुमारी के अनुसार, 'जब मैंने मोतीपुर पीएचसी में जाकर अपने गर्भवती होने की जानकारी दी तो मेरा अल्ट्रासाउंड करवाया गया जिसमें प्रेग्नेंसी की पुष्टि हो गई। मैं हैरान रह गईं।मैं पांचवे बच्चे के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हूं।'
जिला चिकित्सा पदाधिकारी ने कही ये बाद
वहीं नसंबदी के बावजूद महिला के गर्भवती होने पर जिला चिकित्सा पदाधिकारी ने इस मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि ऑपरेशन के दौरान कुछ केस फेल हो जाते हैं। कहा कि ऐसे केस सामने आते हैं, जिन्हें फॉर्म भरने पर 30 हजार की धनराशि दी जाती है और इन्हें भी इस धनराशि का वितरण किया जाएगा।