बिहार के पूर्वी चंपारण में बनने वाला राम मंदिर इन दिनों काफी चर्चा में है। क्योंकि, यह रामायण मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा राम मंदिर होगा। इस मंदिर का निर्माण पूर्वी चंपारण जिले के कैथवलिया में होगा। यह मंदिर कंबोडिया में मौजूद अंगकोर वाट मंदिर और भारत के रामेश्वरम और मिनाकाशी मंदिरों से प्रेरित है। फिलहाल, इस मंदिर के लिए लोग जमीन दान कर रहे हैं, जिसे भव्य मंदिर का निर्माण हो सके। एक मुस्लिम परिवार ने तो इस मंदिर के लिए ढाई करोड़ रुपए से अधिक कीमत की अपनी जमीन दान कर दी है। तो आइए, जानते हैं इस मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें...
जानकारी के मुताबिक, कैथवलिया में 125 एकड़ पर विश्व के सबसे ऊंचे और विशालतम मंदिरों में एक विराट रामायण मंदिर का निर्माण होगा। मंदिर के लिए अब तक एक सौ एकड़ जमीन मिल चुकी है। मंदिर का डिजाइन इस तरह किया जाएगा कि यह ढाई सौ साल से अधिक समय तक रह सके। इसके लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के महानिदेशक पद से हाल ही में सेवानिवृत्त हुए विनीत जायसवाल को विराट रामायण मन्दिर परियोजना का मुख्य परामर्शी बनाया गया है। मन्दिर के निर्माण में नये संसद भवन के निर्माण में लगे तकनीकी विशेषज्ञों और दक्ष कारीगरों की सेवा ली जा रही है। आचार्य किशोर कुणाल का कहना है कि संसद भवन का काम पूरा कर जल्द ही ऐसी एक टीम विराट रामायण मंदिर के निर्माण में जुट जाएगी।
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मंदिर की ऊंचाई 270 फीट
बात अगर ऊंचाई की जाए तो इस विराट रामायण मंदिर की ऊंचाई 270 फीट होगी। वहीं, इसकी लंबाई 1080 फीट और चौड़ाई 540 फीट है। विराट रामायण मन्दिर परिसर के तीन तरफ सड़क है। अयोध्या से जनकपुर तक बन रहा राम-जानकी मार्ग विराट रामायण मंदिर से होकर गुजरेगा। मंदिर में भगवान राम और सीता पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न हिंदू देवताओं के लिए 18 घर शामिल होंगे। इतना ही नहीं शिव मंदिर में दुनिया का सबसे लंबा शिवलिंग स्थापित होगा। गौरतलब है कि पटना स्थित महावीर मंदिर ट्रस्ट ने सबसे पहले हाजीपुर में राम मंदिर के नाम से परियोजना का प्रस्ताव रखा। लेकिन, मंदिर ट्रस्ट ने पूर्वी चंपारण जिले में 161 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया। लिहाजा, हाजीपुर में मंदिर का निर्माण नहीं किया गया। ऐसा कहा जाता है कि जनकपुर से अयोध्या लौटने के क्रम में भगवान राम की बारात देवकी नदी के तट पर रुकी थी। लिहाजा, विराट रामायण मन्दिर का निर्माण वहीं हो रहा है।