शिंजो आबे को भारत और जापान के बीच के संबंध को मजबूत बनाने का श्रेय दिया जाता है। उनका भारत से और प्रधानमंत्री मोदी से खास लगाव रहा है। जब शिंजो आबे जापान के प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने भारत-जापान संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का काम किया था।
शिंजो आबे को भारत और जापान के बीच के संबंध को मजबूत बनाने का श्रेय दिया जाता है। उनका भारत से और प्रधानमंत्री मोदी से खास लगाव रहा है। जब शिंजो आबे जापान के प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने भारत-जापान संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का काम किया था।
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सबसे अधिक तीन बार भारत का दौरा किया था। सबसे पहले जनवरी 2014, फिर दिसंबर 2015 और फिर सितंबर 2017 में वह आधिकारिक तौर पर भारत आए। भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर चीफ गेस्ट के तौर पर शामिल होने वाले शिंजो अबे पहले जापानी प्रधानमंत्री थे।
शिंजो आबे को भारत सरकार ने जनवरी 2021 में देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक अवॉर्ड पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। शिंजो आबे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास दोस्त भी थे। जब भी दोनों की मुलाकात होती थी तो दोनों में अलग ही गर्मजोशी देखने को मिलती थी।
जब शिंजो आबे प्रधानमंत्री रहते हुए भारत आए थे तो पीएम मोदी उन्हें अपने साथ वाराणसी लेकर गए थे। इस दौरान दोनों ने साथ में गंगा आरती भी की थी। शिंजो आबे का इस दौरान भारतीय संस्कृति के प्रति स्नेह सबने देखा था। वह पूरी आस्था के साथ गंगा आरती करते दिखाई दिए थे। इसके बाद जब शिंजो आबे भारत से वापस जापान जा रहे थे तो पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें भगवद् गीता भेंट की थी।
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने, इसके बाद उनकी और आबे की करीब दर्जनभर से ज्यादा बार मुलाकात हुई थी। दोनों की कैमिस्ट्री की चर्चा दुनियाभर में होती थी। आबे की आर्थिक नीतियों ने एक नए शब्द 'आबेनॉमिक्स' को जन्म दिया था, जिसकी तर्ज पर ही पीएम नरेंद्र मोदी मोदी की आर्थिक नीतियों को 'मोदीनॉमिक्स' नाम दिया गया।
शिंजो आबे ने साल 2020 में कोलाइटिस बीमारी के चलते जापान के प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया था। वह जापान के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शामिल थे। फिलहाल उनके निधन के बाद पूरा जापान गम में डूब गया है।