कोविड वैक्‍सीनेशन में पिछड़ी दुनिया, WHO चीफ बोले- यह नैतिक शर्मिन्दगी, लोगों को जान देकर चुकानी पड़ी कीमत

UN News Hindi
 यूएन न्यूज हिंदी
Updated Dec 30, 2021 | 15:47 IST

WHO चीफ ने दुनियाभर में कोविड वैक्‍सीनेशन में कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि साल 2021 के आखिर तक  40 फीसदी आबादी के टीकाकरण का लक्ष्‍य हासिल किया जा सकता था, लेकिन इस इस लक्ष्‍य को पूरा नहीं किया जा सका। यह विफलता एक नैतिक शर्मिंदगी है, जिसकी कीमत लोगों को जान देकर चुकानी पड़ी।

कोविड वैक्‍सीनेशन में पिछड़ी दुनिया, WHO चीफ बोले- लोगों को जान देकर चुकानी पड़ी कीमत
कोविड वैक्‍सीनेशन में पिछड़ी दुनिया, WHO चीफ बोले- लोगों को जान देकर चुकानी पड़ी कीमत  |  तस्वीर साभार: AP, File Image

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि वर्ष 2021 के अन्त तक 40 फ़ीसदी विश्व आबादी के टीकाकरण के लक्ष्य को पाना सम्भव था, मगर उसमें मिली विफलता एक नैतिक शर्मिन्दगी है और इसकी क़ीमत लोगों को अपने जीवन से चुकानी पड़ी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि दो वर्ष पहले, जब लोग नए साल के उत्सव में जुटे थे, एक नया वैश्विक ख़तरा भी उभर रहा था। 

उसके बाद से वर्ष 2020 में 18 लाख लोगों की मौत हुई और 2021 में मृतक संख्या 35 लाख तक पहुंच गई। वैश्विक महामारी के कारण मृतकों का वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका जताई गई है। बताया गया है कि लाखों लोग, कोविड-19 वायरस के दीर्घकालीन दुष्परिणामों से भी पीड़ित हैं। 

संक्रमण मामलों की सुनामी

फ़िलहाल, कोरोनावायरस के डेल्टा व ओमिक्रॉन नामक वैरीएण्ट की वजह से संक्रमण में मामलों में भारी उछाल दर्ज किया गया है। अस्पतालों में भर्ती होने वाले संक्रमितों व मृतकों की संख्या में वृद्धि हुई है। यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने गहरी चिन्ता जताई है कि ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला ओमिक्रॉन वैरीएण्ट, डेल्टा के साथ-साथ फैल रहा है, जिससे संक्रमण मामलों में सुनामी आ गई है। 

Medical workers wearing protective gear prepare to take samples at a temporary screening clinic for the coronavirus in Seoul, South Korea, Wednesday, Dec. 29, 2021. (AP Photo/Lee Jin-man)

पिछले वर्ष दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह, जी7 और जी20 की बैठक के दौरान, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने, वर्ष 2021 के अन्त तक विश्व आबादी के 40 फ़ीसदी और वर्ष 2022 के मध्य तक, 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण का लक्ष्य रखा था। 2021 समाप्त होने में अब दो ही दिन शेष हैं, और यूएन एजेंसी के 194 सदस्य देशों में से 92 देश इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए हैं। 

महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि निम्न-आय वाले देशों को सीमित संख्या में ही टीकों की आपूर्ति हुई है और अनेक मर्तबा वैक्सीन अन्य ज़रूरी उपकरणों, जैसे कि सिरींज के बिना ही देशों में भेजी गई।

नए लक्ष्य

यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि 40 प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य, प्राप्त किया जा सकता था। 'यह ना सिर्फ़ एक नैतिक शर्मिन्दगी है, इससे ज़िन्दगियों की क़ीमत चुकानी पड़ी और वायरस को बेरोकटोक फैलने और रूप बदलने का अवसर भी मिल गया।' संगठन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि सम्पन्न देशों में वैक्सीन की बूस्टर ख़ुराक दी जा रही है, जिससे निम्न-आय देशों के फिर से पीछे छूट जाने का ख़तरा है। 

FILE - World Health Organisation Tedros Adhanom Ghebreyesus waves as he arrives for a meeting of G20 finance and health ministers at the Salone delle Fontane (Hall of Fountains) in Rome, Oct. 29, 2021. The World Health Organization on Wednesday, Dec. 29 the number of COVID-19 cases recorded worldwide increased by 11% last week compared with the previous week, with the biggest increase in the Americas. The gain followed a gradual increase since October. (AP Photo/Alessandra Tarantino, file)

इस क्रम में, 2022 के मध्य तक 70 फ़ीसदी आबादी के टीकाकरण का लक्ष्य प्राप्त करने पर बल दिया गया है। 'हमारे पास जुलाई 2022 की शुरुआत तक 70 फ़ीसदी को हासिल करने और समाप्ति रेखा तक पहुंचने के लिये 185 दिन हैं। और समय अब शुरू होता है।'

सफलताएं

महानिदेशक घेबरेयेसस ने माना कि नए स्वास्थ्य ख़तरों को पराजित करने के लिये, विज्ञान, समाधान व एकजुटा की आवश्यकता होगी। उन्होंने नई वैक्सीन्स को जल्द विकसित किये जाने का उल्लेख करते हुए, इसे एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता क़रार दिया। मगर, उन्होंने क्षोभ ज़ाहिर किया कि एकजुटता के बजाय, राजनीति की जीत हो रही है। 'लोकप्रियतावाद, संकीर्ष राष्ट्रवाद और कुछ देशों द्वारा मास्क, उपचारों, निदानों व वैक्सीन समेत स्वास्थ्य औज़ारों की जमाखोरी से समता कमज़ोर हुई है और नए वैरीएण्ट के उभरने के लिये आदर्श परिस्थितियाँ बनी हैं।'

भ्रामक और गलत सूचनाओं के फैलने की वजह से विज्ञान को क्षति पहुंची है और जीवनरक्षक स्वास्थ्य औज़ारों में भरोसा कम हुआ है। महानिदेशक घेबरेयेसस ने बताया कि योरोप और अन्य देशों में संक्रमण मामलों की विशाल लहर फैल रही है, जिससे टीकों की ख़ुराक ना लेने वाले लोगों की ज़्यादा संख्या में मौत हुई है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी, जैसे-जैसे लम्बा खिंच रही है, वायरस के नए वैरीएण्ट्स का मौजूदा वैक्सीन या अतीत में हुए संक्रमणों के प्रति प्रतिरोधक होने का जोखिम बढ़ रहा है।

FILE - A flight crew walk through the terminal at Sydney Airport on Nov. 29, 2021. Caseloads of omicron have remained relatively low in many countries in Asia. For now, many remain insulated from the worst, although the next few months will remain critical. (AP Photo/Mark Baker, File)

इसे ध्यान में रखते हुए, वैक्सीन में भी ज़रूरत के अनुरूप बदलाव लाये जाने होंगे। यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि वैक्सीन में संशोधन के कारण, नए सिरे से आपूर्ति में क़िल्लत पैदा हो सकती है, इसलिये स्थानीय स्तर पर उत्पादन क्षमता व आपूर्ति को बढ़ाया जाना ज़रूरी है।

नए औज़ार

उन्होंने बताया कि जीवनरक्षक औज़ारों का उत्पादन बढ़ाने का एक रास्ता, टैक्नॉलॉजी को साझा किया जाना है, जिसका प्रयास यूएन एजेंसी के नए 'बायो हब सिस्टम' के ज़रिये किया गया है। यह एक ऐसा तंत्र है जिसका उद्देश्य स्वैच्छिक रूप से नई जैविक सामग्री को साझा करना है।

उन्होंने जर्मनी की राजधानी बर्लिन में नए हब का ज़िक्र किया, जिसे महामारियों से निपटने की तैयारियों व निगरानी के इरादे से स्थापित किया गया है। यूएन एजेंसी प्रमुख ने देशों के बीच एक नए समझौते का भी आहवान किया है, जिसे अगली महामारियों का मुकाबला करने के नज़रिये से अहम बताया गया है।

अगली खबर