विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 महामारी से संक्रमित मरीज़ों के उपचार के लिये दो नई दवाओं के प्रयोग की सिफ़ारिश की है। इनमें से एक दवा गम्भीर रूप से बीमार मरीज़ों को दी जाएगी, जबकि एक अन्य कम-गम्भीर संक्रमण मामलों में उपचार के लिये है।
पहली दवा का नाम ‘baricitinib’ और इस श्रेणी की दवाएँ रक्त और अस्थि-मज्जा कैंसर (bone marrow cancer) और रियूमेटॉइड आर्थराइटिस समेत कुछ अन्य बीमारियों के लिये उपचार में इस्तेमाल में लाई जाती है। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में इस सम्बन्ध में दिशानिर्देश विकसित करने वाले समूह के मुताबिक़, गम्भीर रूप से बीमार संक्रमितों के उपचार के लिये, इस दवा की मज़बूती से सिफ़ारिश की गई है और इसे corticosteroids के साथ दिया जाना होगा।
अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के समूह ने अपनी सिफ़ारिश में कहा है कि निश्चित तथ्य हैं कि इससे मरीज़ों की जान बचाई जा सकती है और वैण्टीलेटर का इस्तेमाल किये जाने की आवश्यकता भी कम होती है। इस दवा के प्रयोग के दुष्प्रभाव नहीं देखे गए हैं।
विशेषज्ञों ने गम्भीर रूप से बीमार मरीज़ों के उपचार में, दो अन्य दवाओं, ruxolitinib और tofacitinib को प्रयोग में ना लाये जाने की बात कही है। उनका कहना है कि परीक्षणों के दौरान, इन दवाओं से किसी प्रकार के लाभ दिखाई नहीं दिये, जबकि tofacitinib के प्रयोग से गम्भीर दुष्प्रभाव भी नज़र आए हैं।
इसके समानान्तर, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कम गम्भीर संक्रमण मामलों में ‘sotrovimab’ नामक एक मोनोक्लोनल एण्टीबॉडी के सशर्त इस्तेमाल की सिफ़ारिश की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस दवा को उन्हीं मरीज़ों को दिया जाना चाहिये, जिनकके अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम सबसे अधिक हो।
जिन मरीज़ों के लिये ज़्यादा जोखिम नहीं है, उन पर इस दवा का मामूली असर ही देखा गया है। कम गम्भीर, गम्भीर और अति-गम्भीर संक्रमणा मामलों में चार हज़ार से अधिक मरीज़ों पर किये गए परीक्षण के बाद प्राप्त तथ्यों के आधार पर इन सिफ़ारिशों को जारी किया गया है।
यूएन एजेंसी का कहना है कि इससे चिकित्सकों के लिये संक्रमितों के उपचार में सहायता मिलेगी, और तेज़ी से बदल रहे हालात में ये दिशानिर्देश उपयोगी साबित होने की उम्मीद है।