नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से रेपो रेट में बढ़ोतरी करने के बाद देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक ने बड़ा ऐलान किया। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में बढ़ोतरी कर दी है। यानी होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन, आदि सभी तरह के लोन महंगे हो गए हैं।
कब से कितनी बढ़ी दरें?
15 मई 2022 से एसबीआई ने एमसीएलआर को 10 बेसिस पॉइंट बढ़ा दिया है। उल्लेखनीय है कि पिछले दो महीनों में सरकारी सेक्ट के बैंक द्वारा एमसीएलआर में यह दूसरी वृद्धि है। ताजा वृद्धि के बाद अब एसबीआई का एक महीने और तीन महीने का एमसीएलआर अब 6.75 फीसदी से बढ़कर 6.85 फीसदी हो गया है। इसी तरह, बैंक का छह महीने का एमसीएलआर 7.15 फीसदी, एक साल का एमसीएलआर 7.20 फीसदी, दो साल का एमसीएलआर 7.40 फीसदी और तीन साल का एमसीएलआर 7.50 फीसदी है।
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मालूम हो कि एसबीआई ने भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा रेपो दर को 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.40 फीसदी करने के 10 दिन बाद ही एमसीएलआर में बढ़ोतरी की गई है। केंद्रीय बैंक ने लगातार बढ़ रही महंगाई पर काबू पाने के लिए रेपो रेट बढ़ाने का फैसला किया था।
क्या है एमसीएलआर? (What is MCLR)
इससे पहले एसबीआई ने अप्रैल में एमसीएलआर में 10 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की थी। साल 2019 के बाद पहली बार इसमें बढ़ोतरी की गई थी। एमसीएलआर एक न्यूनतम ब्याज दर होती है, जिस पर बैंक उधार दे सकता है। भारत में 22 मई 2020 के बाद 4 मई 2022 को आरबीआई ने रेपो रेट में बदलाव किया था। रेपो रेट बढ़ने से ग्राहकों पर ईएमआई का बोझ बढ़ जाता है।
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