- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की रोगी कल्याण समितियों को भंग करने के आदेश
- जन आरोग्य समितियों में जनपद पंचायत सदस्य अध्यक्ष और 17 अन्य सदस्य भी होंगे शामिल
- पीएचसी तथा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स के लिए जन आरोग्य समितियां बनाएंगी विकास की योजनाएं
Ayushman Bharat Yojna: मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे द्वारा छोटे सरकारी अस्पतालों के व्यवस्था में बदलाव किया गया है। उप स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में व्यवस्थाओं को संचालित करने की जिम्मेदारी अब जन आरोग्य समितियों के जिम्मे होगी। स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की रोगी कल्याण समितियों को भंग करने के आदेश जारी कर दिए हैं। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि जन आरोग्य समितियों में स्थानीय लोगों एवं जनप्रतिनिधियों की भागीदारी के चलते न सिर्फ मरीजों को अच्छा इलाज मिलेगा बल्कि व्यवस्थाएं भी बेतहर की जा सकेंगी।
उप स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्थानीय समिति और जन भागीदारी होने से स्थानीय स्तर की समस्याओ और शिकायतों का समाधान भी जल्द हो सकगा। स्वास्थ्य केंद्रों की प्लानिंग स्थानीय समितियों के कंट्रोल होगी।
इस प्रकार होगा समिति का गठन
अस्पतालों का प्लानिंग प्रशासनिक कंट्रोल से बाहर होंगी और समस्याओं का समाधान होगा। पीएचसी में मेडिकल ऑफिसर सदस्य को सचिव नियुक्त किया जाएगा। जिस क्षेत्र की समिति गठित होगी उस क्षेत्र के जनपद पंचायत सदस्य समिति को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी होगी। इनके अतिरिक्त जन आरोग्य समिति में 17 सदस्य सम्मिलित होंगे।
इन अस्पतालों पर नहीं होगा प्रशासनिक हस्तक्षेप
जिला स्वास्थ्य समिति के अधीन ही पीएचसी तथा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर गठित जन आरोग्य समितियां काम करेंगी। इन समितियों के गठन के साथ ही प्राथमिक एवं उप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रशासनिक हस्तक्षेप के बजाए स्थानीय भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों के द्वारा बनेंगी योजनाएं
पीएचसी और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर जन आरोग्य समितियों के द्वारा विकास की योजना बनाई जाएंगी। उसी योजना के आधार पर अस्पताल का संचालन होगा। सिर्फ इतना ही नहीं स्थानीय स्तर पर होने वाली समस्याओं का समाधान भी इन्हीं समितियों के माध्यम से होगा। दावा है कि आम नागरिकों की भागीदारी बढ़ने से स्टाफ की मनमानी पर भी रोेक लग सकेगी।