- तीन दिन के लिए आम जनता के लिए खोला गया है भोपाल का राजभवन
- राज्यपाल मंगुभाई पटेल के निर्देश पर खोला गया राजभवन
- मध्य प्रदेश की पूर्व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की थी इस परंपरा की शुरुआत
Bhopal News: पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव के तहत ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में जुटा हुआ है। वहीं अब मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में राजभवन तीन दिन के लिए आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। राजभवन की गैलरी से लेकर कई हिस्सों में भारतीय संस्कृति की झलक आमजन को देखने को मिल रही है। बता दें कि, यह निर्देश राज्यपाल मंगुभाई पटेल की ओर से स्वतंत्रता दिवस के अवसर को देखते हुए दिया गया है।
बता दें कि राजभवन तीन दिन यानी 13,14 और 16 अगस्त को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। इन तीनों दिनों में आम जनता को बिना किसी अनुमति प्रवेश दिया जाएगा। हालांकि यह ध्यान रखें की राजभवन लगातार तीनों दिनों तक नहीं खुला रहेगा क्योंकि 15 अगस्त को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
ये है राजभवन घूमने का शेड्यूल
मिली जानकारी के अनुसार जनता के लिए राजभवन खोल दिया गया हैं। राजभवन को लाइटिंग से सजाया गया है और तिरंगे भी लगाए गए हैं। जनता के लिए राजभवन को देखने का बेहतरीन समय शाम को है जब भवन को चारों ओर से जगमगाया जाएगा। बता दें राजभवन जनता के लिए शाम चार बजे से रात नौ बजे तक खोला जा रहा है।
राजभवन में मनोरंजन के भी साधन
बता दें कि, भोपाल की श्यामला हिल्स पर बनीं पहाड़ियों पर बना राजभवन काफी सुंदर है। यहां भ्रमण करने आने वाले लोगों के लिए स्पेशल सांदिपनी सभागार भी बनाया गया है। इसमें भारतीय आश्रम शिक्षा पद्धति और पठन-पाठन की आर्ट के माध्यम से जानकारी दी गई है। इस गैलरी में लगभग 30 चित्र लगे हुए हैं। इतना ही नहीं राजभवन का पंचतंत्र पार्क बच्चों के लिए बेहद आकर्षण का केंद्र है। यहां बाघ, हिरण, मोर समेत कई पशु-पक्षियों की मूर्तियां लगी हुई हैं। इसके अलावा हॉल में एक छोटा सा चिड़ियाघर भी बनाया है, यानी यहां आपको घूमने के साथ-साथ मनोरंजन के भी साधन मिल जाएंगे।
पूर्व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने शुरू की थी परंपरा
जानकारी के लिए बता दें ,कि राज भवन को आम जनता के घूमने लिए खोलने का श्रेय मध्य प्रदेश की पूर्व राज्यपाल माननीय आनंदीबेन पटेल को दिया जाता है। जिन्होंने राजभवन को जनता के देखने के लिए पहली बार खुलवाया था। तभी से 15 अगस्त, 26 जनवरी, दीपावली, आदी पर्व पर राजभवन को खोलने की परंपरा शुरू हुई।