- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन 5 अगस्त को होना है
- इससे एक दिन पहले मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कलनाथ हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे
- कांग्रेस का कहना है कि यह आध्यात्मिक आयोजन है और इसे किसी अन्य संदर्भ में नहीं लिया जाना चाहिए
भोपाल : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को होने जा रहे भूमि पूजन को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास करने वाले हैं, जिसके लिए वहां तैयारियां जोरशोर से जारी हैं। इस बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ मंदिर निर्माण से ठीक एक दिन पहले हनुमान चालीसा का पाठ करने जा रहे हैं।
कमलनाथ करेंगे हनुमान चालीसा का पाठ
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मंगलवार (4 अगस्त) को अपने आवास पर 'हनुमान चालीसा' का पाठ आयोजित करने जा रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने रविवार को इसकी जानकारी दी और यह भी कहा कि यह पूरी तरह से आध्यात्मिक आयोजन है और इसे किसी अन्य संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए।'
उन्होंने यह भी कहा कि कमलनाथ भगवान हनुमान के बड़े भक्त हैं और उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी अपील की है कि वे मंगलवार को अपने घरों में हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि मंगलवार का दिन बेहद खास है और यह बस एक आध्यात्मिक आयोजन है। इसी किसी और प्ररिप्रेक्ष्य में नहीं लिया जाना चाहिए।
'सबकी सहमति से हो रहा मंदिर निर्माण'
अभी एक दिन पहले ही शनिवार को कमलनाथ ने कहा था कि वह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का स्वागत करते हैं और मंदिर का निर्माण सभी भारतवासियों की सहमति से हो रहा है। उन्होंने कहा, 'देशवासियों को लंबे समय से इसकी अपेक्षा और आकांक्षा थी। राम मंदिर का निर्माण हर भारतवासी की सहमति से हो रहा है। ये सिर्फ भारत में ही संभव है।'
छिंदवाड़ा में लगवाई 101 फुट ऊंची हनुमान प्रतिमा
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अप्रैल में हनुमान जयंती के अवसर पर कमलनाथ छिंदवाड़ा में बड़े धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करना चाहते थे, लेकिन मार्च में अपनी सरकार गिर जाने से मचे सियासी उथल-पुथल के कारण वह ऐसा नहीं कर सके। कुछ साल पहले सांसद रहते हुए उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में 101 फुट ऊंची भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित की थी।
यहां उल्लेखनीय है कि मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद कमलनाथ की 15 माह पुरानी सरकार गिर गई थी। सिंधिया समेत कांग्रेस के कई विधायकों ने तब बीजेपी का दामन थाम लिया था। कई बागी विधायकों को आगे चलकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में बनी सरकार में शामिल किया गया।