- शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को अकेल मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी
- इसके बाद 21 अप्रैल को 5 सदस्यीय मंत्रिपरिषद का गठन किया गया
- शिवराज सिंह ने कहा है कि वह शीघ्र ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे
भोपाल: मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रिमंडल का जल्द ही विस्तार कर सकते हैं। मंत्रिमंडल के विस्तार पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को नई दिल्ली में भाजपा आलाकमान से मिल सकते हैं। चौहान ने बुधवार को कहा कि वह शीघ्र ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे।
प्रदेश के भाजपा नेताओं के साथ बैठक करने के बाद चौहान ने एक बयान जारी कर कहा, 'आज बहुत महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष (विष्णु दत्त शर्मा), प्रदेश के संगठन महामंत्री (सुहास भगत) और हम सब शामिल थे। एक प्रमुख विषय है मंत्रिमंडल का विस्तार। शीघ्र ही मंत्रिमंडल का विस्तार होने वाला है।'
उन्होंने कहा, 'मंत्रिमंडल विस्तार के सब पहलुओं पर हमने विस्तृत चर्चा की है। दिल्ली में चर्चा होनी है और उसके बाद बहुत जल्दी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।'
शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को अकेले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद देश व्यापी लॉकडाउन लग गया था। बाद में 29 दिन बाद 21 अप्रैल को 5 सदस्यीय मंत्रिपरिषद का गठन किया गया। इसमें कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी तुलसी सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत शामिल थे।
चौथी बार CM बने शिवराज
23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर शिवराज सिंह चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। पहली बार 29 नवंबर 2005 को सीएम बनने वाले शिवराज 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी के बहुमत नहीं मिलने की वजह से सीएम नहीं बन पाए थे। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले वो मध्य प्रदेश के इकलौते नेता है। उनसे पहले अर्जुन सिंह, श्यामचरण शुक्ल तीन-तीन बार सीएम रह चुके हैं।
गिर गई कमलनाथ सरकार
इस साल मार्च के महीने में कमलनाथ सरकार पर संकट तब खड़ा हो गया था जब कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। सिंधिया के समर्थन में एक साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था। इससे कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट ने सरकार को फ्लोर टेस्ट से गुजरने को कहा लेकिन उससे पहले ही कमलनाथ ने इस्तीफा देना ज्यादा उचित समझा। इसके बाद बीजेपी का रास्ता साफ हो गया और राज्य में फिर से शिवराज सरकार बन गई।