भोपाल : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का शनिवार को एक अलग ही रूप देखने को मिला, जब उन्हें अपने ही गांव में पानी को लेकर शिकायत मिली। सीएम भाई दूज के मौके पर सीहोर जिले के जैत गांव में थे। सीएम जैसे ही अपने गांव पहुंचे, लोगों ने उनसे शिकायतों की झड़ी लगा दी। उन्हीं में एक शिकायत पानी को लेकर भी थी। उनके पास जैसे ही यह समस्या आई, वह भड़क उठे और सवालिया लहजे में उन्होंने कहा कि क्या यह देखना सीएम का काम है कि नल में पानी आ रहा है या नहीं?
अपने ही गांव में पानी की शिकायत सुनकर सीएम का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था। वह अधिकारियों को बख्शने के मूड में बिल्कुल भी नहीं थे। उन्होंने कहा, अगर 15 दिनों में यह सब ठीक नहीं हुआ तो वह सभी को 'ठीक' कर देंगे। इस बीच जब पीछे से कुछ लोगों ने बोलना शुरू किया तो वह कहते सुने गए, 'अभी कोई मत बोलो, मैं बोलूंगा अभी।'
'ये देखना मेरा काम है क्या?'
पानी की शिकायत पर अधिकारियों को फटकार लगाते हुए सीएम शिवराज ने कहा, 'क्या कर रहे हो, मेरे क्षेत्र में पानी नहीं जा रहा...ये मेरा काम है क्या? एक साथ आवेदन दे रहा हूं और 15 दिन के बाद पूछूंगा। अगर एक जगह से भी शिकायत आ गई तो तुम नहीं रहोगे। ये कोई तरीका थोड़े होता है। ये देखना मुख्यमंत्री का काम है क्या कि टोटी में पानी आ रहा या नहीं? 15 दिन बाद कमिश्नर-कलेक्टर चेक करेंगे, किसी जगह पर गड़बड़ मिली तो मैं ठीक कर दूंगा।'
सीएम ने अधिकारियों को 15 दिन का समय देते हुए कहा, अब शिकायत आई तो फिर खैर नहीं। एक-एक को ठीक कर दूंगा। वह अधिकारियों से कहते सुने गए, आखिर एक-एक आवेदन मैं कहां तक देखूंगा? यह मेरा काम है क्या?
'400 से अधिक मकान बनकर तैयार'
सीएम ने यह भी कहा कि बाढ़ में फसलों का नुकसान हुआ और साथ ही घर भी तबाह हो गए थे। इसलिए जरूरी था कि मकान फिर से बनें। 600 से ज्यादा मकान सरकार ने स्वीकृत किए थे और आज 400 से अधिक मकान पूरी तरह बनकर तैयार हो गए हैं। लगभग सवा साल पहले नर्मदा मैया में आई भयानक बाढ़ में क्षेत्र के लगभग 44 गांव बुरी तरह से डूब गए थे। मुझे इस बात का संतोष है कि बाढ़ में नुकसान जरूर हुआ था, लेकिन हमने किसी की जान नहीं जाने दी। बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला गया।