- मध्य प्रदेश कांग्रेस की मांग, बाइबिल और कुरान भी पढ़ाया जाए
- 'अगर रामायण और महाभारत की पढ़ाई संभव तो कुरान और बाइबिल को इजाजत क्यों नहीं'
- 'संविधान की मर्यादा का राज्य सरकार को सम्मान करना चाहिए'
मध्य प्रदेश ने कांग्रेस ने नई शिक्षा नीति के हिस्से के रूप में कुरान और बाइबिल की शुरूआत की वकालत की है; कहते हैं कि अगर रामायण और महाभारत स्कूलों में पढ़ाया जा सकता है तो कुरान को पाठ्यक्रम में शामिल क्यों नहीं किया जाना चाहिए। कांग्रेस नेता आरिफ मसूद का कहना है कि जब देश का स्वरूप धर्मनिरपेक्ष है तो कुरान, बाइबिल और गुरु ग्रंथ साहिब पढ़ाने में क्या दिक्कत है,
यह देश संविधान के हिसाब से चल रहा है तो उसके मुताबिक किसी भी पंथ या मजहब के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य की नजर में सभी पंथों की धार्मिक पुस्तकों को पढ़ाया जाना चाहिए। किसी खास पंथ को बढ़ावा देने का निर्णय संवैधानिक मुल्यों के खिलाफ है।
कांग्रेस की मांग पर अलग अलग तरह की प्रतिक्रिया भी आई है।
इस तर्क से मदरसों को चाहिए कि जेहाद की जगह रामायण पढ़ाना शुरू कर दें
देख लो माइनॉरिटी के भीख मांगे वाले आज हक मांग रहे हैं.... धर्मनिरपेक्षता
तो अब आप चाहते हैं कि बच्चे 'आतंकवादी' बनें?
क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि इस तरह की मांग के पीछे की वजह क्या है। जानकार कहते हैं कि यह सिर्फ सियासी मांग है, कांग्रेस को कम से कम अपने वोटबैंक तक संदेश देने के लिए इस तरह की बात करनी होगी। कांग्रेस की कोशिश है कि इसे एक तरह से राजनीतिक मौके की तरह लपक कर भुनाया जाए और जनता को यह संदेश दिया जाए कि राज्य की मौजूदा बीजेपी सरकार किस तरह सांप्रदायिकता की राजनीति कर रही है।