नई दिल्ली : कोरोना वायरस की वजह से दिल्ली की गाजीपुर फूल मंडी पर खासा असर पड़ा है। रोजाना अच्छा खासा व्यापार करने वाले दुकानदार अब 25 फीसदी ही व्यापार करने में सक्षम हैं। दुकानों पर पहले की तरह ग्राहक नहीं है। फूल मंडी में मौजूद दुकानदारों को सबसे ज्यादा नुकसान फूल खराब होने की वजह से हो रहा है। क्योंकि हर फूल की जिंदगी दिन के हिसाब से होती है, उसके बाद वो मुरझाने लगते हैं, जिसकी वजह से उन्हें फेंकना पड़ता है। गाजीपुर फूल मंडी में कुल 411 दुकानें हैं, जहां से देश के कोने-कोने में फूल पहुंचाए जाते हैं। कोरोना की वजह से न तो पूरी तरह से दुकानें खुली हैं और ना ही व्यापार हो पा रहा है।
गाजीपुर फूल मंडी में 100 वेराइटी के फूल मिलते हैं
फूल मंडी में पिछले 7 सालों से फूलों का काम करने वाले विनोद कुमार ने बताया कि इस मंडी में आपको 100 वेराइटी के फूल मिलेंगे, जिनकी कीमत 1 रुपए से लेकर 30 रुपए तक होती है। बांकी सीजन के हिसाब से कई फूलों के दाम ऊपर-नीचे होते रहते हैं। बैंगलुरू, नासिक, थाईलैंड, पुणे, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि जगहों से यहां फूल आते हैं। ऑफिस बंद होने की वजह से, शादियां न होने की वजह से, मंदिरों में भीड़ न होने की वजह से फूलों के व्यापार पर बहुत फर्क पड़ा है।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या है कि समय रहते फूलों को बेंच दिया जाए, वरना ये फूल खराब हो जाते हैं। हर एक फूल की एक समय सीमा होती है। जैसे कि गुलाब, जरबेरा, गेंदे का फूल, 2 दिन चलते हैं। वहीं गुलदावरी, कारनेशन का फूल 4 दिन और डेजी का फूल 1 हफ्ता चलता है। ऑर्डर 10 से 12 दिन और लिली 15 दिन चलता है।
खाने को मैं मोहताज होते जा रहे हैं व्यापारी
शिव लाल यूपी के निवासी हैं और गाजीपुर मंडी में पत्तों का व्यापार करते हैं। उन्होंने बताया कि मैं फूलों में ही पैदा हुआ और तब से अब तक फूलों का ही व्यापार कर रहा हूं। लेकिन बीते कुछ महीनों में मेरी जिंदगी बिल्कुल बदल गई है। बहुत परेशानियों से गुजर रहा हूं, मेरे पास 2 वक्त की रोटी के लिए भी पैसा नहीं है। दुकान का किराया, घर का किराया और बच्चों को पढ़ाना और उनको खाना खिलाने के लिए अब मैं मोहताज होता जा रहा हूं।
हालांकि जब हम उनसे बात कर रहे थे, तो वो पत्तो को कैंची से काट रहे थे। हमारे पूछने पर उन्होंने बताया, हर दिन पत्ते खराब हो रहे हैं। जहां-जहां से खराब होते जाते हैं, वहां से काटना पड़ता है। ताकि सुबह इनकी बिक्री हो सके, ज्यादा से ज्यादा 3 से 4 दिन ये पत्ते चल पाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 3 महीने में 2 हजार रुपये भी नहीं कमाए, वहीं कोई और काम मुझे आता नहीं है।
रोजाना लाखों रुपए का माल फेंका जाता है
पत्तों का व्यापार करने वाले अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि अक्सर हवा की वजह से पत्ते सूख जाते हैं। 5 सितंबर को 57 हजार का माल खरीदा था, लेकिन एक महीने में 8 हजार का माल बचा है, बाकी का माल खराब हो गया। गांव से यहां काफी लोग तो अभी तक आये ही नहीं, सबकी दुकानें बंद हैं। सुबह-सुबह यहां रोजाना लाखों रुपए का माल फेंका जाता है। लेकिन हमारी तरफ कौन देखने वाला है।
उन्होंने बताया कि हर साल वैष्णो देवी मंदिर में यहां से 15 से 20 ट्रक फूल जाते थे। लेकिन इस साल 2 या 4 ट्रक गये हैं। जब तक मंदिरों में लोगों की भीड़ नहीं होगी, हमारा व्यापार नहीं चलेगा। साथ ही शादी और अन्य कार्यक्रम नहीं होंगे, तब तक हमें नुकसान होगा। अगले आने वाले 5 सालों में इस नुकसान का भुगतान नहीं हो सकता।
गाजीपुर फूल मंडी में अब तक 75 करोड़ रुपए का नुकसान
गाजीपुर फूल मंडी के चेयरमैन विजय सिंह सिसोदिया ने बताया कि इस मंडी को अप्रैल से अब तक 75 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इस वक्त 25 फीसदी ही व्यापार है। इस पूरी मंडी में 411 दुकाने हैं। शादियों के प्रोग्राम, मंदिर न खुलने की वजह से बहुत नुकसान हुआ है। यहीं सबसे ज्यादा फूलों की सजावट होती है, लेकिन इस वक्त कहीं कुछ नहीं है। हम दुकानदारों के लिए जो कर सकते हैं, वो कर रहे हैं, अब तो जब तक कोरोना वैक्सीन नहीं आएगी तब तक कुछ नहीं हो सकता। नवरात्रों और दीवाली पर थोड़ी उम्मीद है कि कुछ व्यापार बढ़े लेकिन वो भी देखना होगा।