- क्षतिपूर्ति उपकर से प्राप्त 20,000 करोड़ रुपए का वितरण राज्यों के बीच किया जाएगा
- जून 2022 के बाद भी जीएसटी उपकर जारी रखने का निर्णय किया जाएगा
नई दिल्ली: जीएसटी काउंसिल की 42वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस साल 20,000 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति सेस का कलेक्शन किया गया है। आज रात राज्यों को ये वितरित किया जाएगा। 24,000 करोड़ रुपए IGST उन राज्यों को जारी किए जाएंगे जिन्हें पहले कम प्राप्त हुए थे, इसे अगले सप्ताह के अंत तक वितरित किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद ने जून 2022 के बाद भी क्षतिपूर्ति उपकर जारी रखने का निर्णय किया।
वहीं वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि पहली जनवरी से उन करदाताओं को मासिक रिटर्न यानी जीएसटीआर 3बी और जीएसटीआर 1 दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होगी, जिनका वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ रुपए से कम है। वे केवल तिमाही रिटर्न दाखिल करेंगे। छोटे करदाताओं के लिए मासिक आधार की बजाय तिमाही आधार पर रिटर्न भरने का जीएसटी परिषद का निर्णय छोटे करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत होगी।
जीएसटी परिषद ने इसरो, एंट्रिक्स की उपग्रहण प्रक्षेपण सेवाओं को माल एवं सेवा कर दायरे से छूट दी है। जीएसटी परिषद की माल एवं सेवा कर उपकर संग्रह में कमी तथा राज्यों की क्षतिपूर्ति पर आगे और विचार-विमर्श के लिए 12 अक्टूबर को बैठक होगी।
बैठक में राज्यों को क्षतिपूर्ति दिये जाने के मामले में कोई आम सहमति नहीं बन पाई। परिषद क्षतिपूर्ति के लिए कर्ज लेने के उपाय पर राजनीतिक विचारों के आधार पर बटी दिखी। समिति की काफी देर तक चली बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 21 राज्यों ने केंद्र के सुझाए दो विकल्पों में से एक का चयन किया है। उन्होंने कहा कि लेकिन कुछ राज्यों ने दोनों विकल्पों में से किसी का भी चयन नहीं किया। इसको देखते हुए परिषद की इस बारे में आगे और विचार-विमर्श को लेकर 12 अक्टूबर को फिर बैठक होगी। उल्लेखनीय है कि केंद्र ने राज्यों को जीएसटी संग्रह में कमी की भरपाई के लिए बाजार से या फिर रिजर्व बैंक से कर्ज लेने का विकल्प दिया है।
केंद्र के अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में राज्यों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में 2.35 करोड़ रुपए के राजस्व की कमी का अनुमान है। केंद्र के आकलन के अनुसार करीब 97,000 करोड़ रुपए की कमी जीएसटी क्रियान्वयन के कारण है, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की वजह कोविड-19 है। इस महामारी के कारण राज्यों के राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ा है।