- सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है। उसे पूरा करने में LIC का IPO अहम भूमिका निभा सकता है।
- LIC के 29 करोड़ पॉलिसीधारक हैं, जो आईपीओ के जरिए कंपनी के अहम शेयरधारक बन सकते हैं।
- LIC अगले महीने आईपीओ के लिए ड्रॉफ्ट पेपर फाइल कर सकती है।
नई दिल्ली: एक ऐसी कंपनी जिसमें 29 करोड़ लोगों ने अपना पैसा लगाया हो और जिसकी साख भरोसे का दूसरा नाम के रुप में हो, अगर उसमें किसी को शेयरधारक बनने काम मौका मिले, तो समझा जा सकता है कि उस कंपनी के लिए आईपीओ (IPO)को लेकर क्या उत्सुकता होगी। हम भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के आने वाले आईपीओ की बात कर रहे हैं। ताजा खबर यह है कि एलआईसी अगले महीने आईपीओ के लिए सेबी के पास ड्रॉफ्ट पेपर फाइल करने जा रही है। खास बात यह है कि आईपीओ को सफल बनाने के लिए सरकार ने कुल आईपीओ का 10 फीसदी हिस्सा एलआईसी के पॉलिसी धारकों के लिए रिजर्व करने का भी फैसला किया है। जाहिर है कि इसके जरिए देश के छोटे निवेशकों की एक बड़ी आबादी को एलआईसी का शेयरधारक बनने का मौका मिलेगा।
कब आएगा, अब तक का सबसे बड़ा IPO
ऐसा माना जा रहा है कि एलआईसी का आईपीओ चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च के दौरान कभी भी आ सकता है। यह देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। ऐसी संभावना है कि सरकार एलआईसी का 5-10 फीसदी हिस्सा बेचेगी। अगर 10 फीसदी हिस्सा बेचने का फैसला होता है तो कंपनी की मार्केट साइज को देखते हुए, इंश्योरेंस सेक्टर में यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ होगा।एलआईसी की इश्योरेंस सेक्टर में करीब 66 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके 29 करोड़ पॉलिसीधारक, 12 लाख एजेंट और एक लाख से ज्यादा कर्मचारी है। आईपीओ का साइज क्या होगा इस अभी खुलासा नहीं हुआ है। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि एलआईसी का आइपीओ उसके वैल्युएशन को देखते हुए 55 हजार करोड़ रुपये से लेकर 80 हजार करोड़ रुपये हो सकता है।
पॉलिसीधारकों के लिए बदला नियम
एलआईसी के पॉलिसीधारकों को आईपीओ में 10 फीसदी हिस्सेदारी देने के लिए, सरकार ने एलआईसी अधिनियम-1956 में बदलाव भी किया है। सरकार के इस कदम के बाद एलआईसी पॉलिसी होल्डर पर शेयरधारक बन सकेंगे। जिस पर उन्हें डिस्काउंट भी मिलेगा। हालांकि इस बात की आशंका जताई जा रही है कि आईपीओ के बाद पॉलिसीधारकों को कम बोनस मिल सकता है। ऐसा न हो, इसके लिए कंपनी नए रास्ते निकाल सकती है।
सरकार के लिए बेहद अहम
कोरोना महामारी से आर्थिक संकट का सामना कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था और केंद्र सरकार के लिए एलआईसी का आईपीओ काफी अहम है। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है। ऐसे में एलआईसी का आईपीओ, सरकार के लिए अपने लक्ष्य को पाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। सरकार का करीब एक लाख करोड़ रुपये बैंक और वित्तीय संस्थाओं से अपनी हिस्सेदारी बेच कर जुटाने का लक्ष्य है। जबकि 75 हजार करोड़ रुपये पब्लिक सेंक्टर कंपनियों के विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य है।
10 मर्चेंट बैंकर हुए नियुक्त
एलआईसी के आईपीओ के मैनेजमेंट के लिए सरकार ने 10 मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति भी कर दी है। इसके तहत गोल्डमैन सैक्स (इंडिया) सिक्योरिटीज, एक्सिस कैपिटल, बीओएफए सिक्योरिटीज, जेपी मॉर्गन इंडिया, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी लिमिटेड, सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स इंडिया,नोमुरा फाइनेंशियल एडवाइजरी एंड सिक्योरिटीज शामिल हैं। ये मर्चेट बैंकर्स रोड शो से लेकर दूसरी चीजों की जिम्मेदारी संभालेंगे।