- इस साल 21 मई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की घोषणा की थी।
- केंद्र ने पेट्रोल पर 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की कमी का ऐलान किया था।
- कटौती के बाद भी जनता तेल की उच्च कीमतों से परेशान है।
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने सोमवार को कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel Price) के दाम क्रमश: 78 और 76 गुना बढ़े हैं। पिछले वर्ष के दौरान कीमतों में 7 और 10 बार कमी की गई और 280 और 279 दिनों के लिए कीमत अपरिवर्तित रखी गई। चड्ढा ने संसद में केंद्र सरकार से पूछा कि पिछले एक साल में पेट्रोल और डीजल की कीमत में कितनी बार बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने इसे जनता की जेब पर लूट बताया और सरकार की प्रतिक्रिया शेयर की।
2017 से लागू है दैनिक संशोधन
पेट्रोल और डीजल की कीमतों को क्रमशः 26 जून 2010 और 19 अक्टूबर 2014 से बाजार निर्धारित किया गया है। तब से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (OMC) पेट्रोल और डीजल के मूल्य निर्धारण पर उचित निर्णय लेती हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने जवाब दिया कि इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र की ओएमसी ने 16 जून 2017 से पूरे देश में पेट्रोल और डीजल के रिटेल बिक्री मूल्य (RSP) के दैनिक संशोधन को लागू किया है।'
6 सालों में अर्जित किया 16 लाख करोड़ का उत्पाद शुल्क
इस बीच आप सांसद ने 22 जुलाई को जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने पिछले 6 सालों में 16 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा उत्पाद शुल्क अर्जित किया है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि सरकार 'आम आदमी' के पैसे का इस्तेमाल बड़े उद्योगपतियों का कर्ज चुकाने के लिए करती है।
चड्ढा ने संसद में पूछा सवाल
एएनआई से बात करते हुए, चड्ढा ने कहा कि, 'मैंने संसद में एक संसद मेंपूछा कि सरकार ने पिछले 6 सालों में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क के माध्यम से कितनी राशि अर्जित की है। सरकार ने एक लिखित उत्तर में मुझे बताया कि भारत सरकार ने पिछले 6 सालों में 16 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का उत्पाद शुल्क अर्जित किया है।'