मुंबई : सरकार को कोविड- 19 से प्रभावित आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और मौजूदा बढ़े खर्च को पूरा करने के लिए शत्रु संपत्ति को बेचने पर गौर करना चाहिए जो एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की हैं। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अंश कालिक सदस्य नीलेष शाह ने सोमवार को यह सुझाव दिया। शाह ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने 1965 की लड़ाई के बाद शत्रु संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिए कानून बनाए। पाकिस्तान इस तरह की समूची संपत्ति को 1971 में ही बेच चुका है लेकिन भारत इस मामले में उससे 49 साल पीछे चल रहा है।
आईएमसी के वेबिनार को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि आपको सरकारी संपत्ति का मौद्रीकरण करना चाहिए ताकि आगे खर्च करने के लिए आपके पास धन उपलब्ध हो। नीलेष शाह कोटक म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी हैं। उन्होंने कहा कि इस शत्रु संपत्ति का मूल्य तीन साल पहले एक लाख करोड़ रुपए आंका गया था। उन्होंने कहा कि इस तरह की संपत्तियों को बेचकर अतिक्रमण हटाने और मालिकाना हक की विसंगतियों को दूर करने का यह सबसे बेहतर समय है। शाह ने कहा कि इस तरह की 9,404 संपत्तियां हैं जो कि 1965 में सरकार द्वारा नियुक्त कस्टोडियन के अधीन की गई थीं।
सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के तौर तरीकों पर पूछे गए सवाल पर शाह ने कहा कि इन संपत्तियों को बेच डालिए और एक लाख करोड़ रुपए की राशि प्राप्त कर लीजिए, इससे आपके खर्चे पूरे हो जाएंगे। इसी वेबिनार को संबोधित करते हुए स्टेट बैंक म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी नवनीत मुनोट ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मामले को पूरी तरह से मौद्रिक प्राधिकरणों के ऊपर छोड़ने के बजाय राजकोषीय उपाय करने की जरूरत है।
शाह ने इस मौके पर भारतीयों के पास उपलब्ध बिना हिसाब किताब वाले सोने का भी इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे नए व्यय और निवेश के लिए 300 अरब डॉलर तक उपलब्ध हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक भारतीयों के पास 25,000 टन सोना रखा हुआ है। एक ऐसी योजना लाई जा सकती है जो इसमें से कम से कम 10 प्रतिशत सोने को निकाल सके। इससे टैक्स के रूप में 50 अरब डॉलर प्राप्त होंगे और 150 अरब डॉलर निवेश और खर्च के लिए उपलब्ध होंगे।
शाह ने स्वर्ण वित्त कंपनियों के काम की सराहना करते हुए कहा उन्होंने सोने को उत्पादक कार्यों में लगाया लेकिन कहा कि उनके इस काम को और व्यापक बनाने की जरूरत है। शाह और मुनोट दोनों ने कहा कि नकदी की उपलब्धता ही है जो कि शेयर बाजार में मौजूदा तेजी का कारण बनी हुई है। पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में करीब एक चौथाई की गिरावट के बावजूद शेयर बाजार में तेजी जारी है, इसके पीछे उपलब्ध तरलता बड़ी वजह है। उन्होंने कहा कि बाजार भविष्य की बड़ी उम्मीदों से देख रहा है जिससे की बाजार में तेजी जारी है।