- कानपुर, आगरा मेट्रो ट्रेन का टेंडर पाने में चीनी कंपनी नाकाम
- तकनीकी मूल्यांकन में चीनी फर्म सीआरआर नानजिंग को झटका लगा
- बंबार्डिर ट्रांसपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को कामयाबी, पहले ट्रेन सेट के लिए समय सीमा मुकर्रर
लखनऊ। मेट्रो अब सार्जनिक परिवहन की पहचान बन चुकी है तो उसके पीछे ठोस वजह भी है। दरअसल मेट्रो की वजह से न लोगों को आरामदेह तरीके से यात्रा करने में सहुलियत हुई है बल्कि समय की बचत भी हुई है। इस बीच बंबार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया ने कानपुर और आगरा मेट्रो के लिए 67 ट्रेनों की टेंडर का हासिल करने में सफलता मिली है। द उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने आधिकारिक बयान के जरिए जानकारी दी है टेंडर में सप्लाई, 201 कार की कमीशनिंग, ट्रेन कंट्रोल और सिंगनलिंग सिस्टम का भी सौदा बंबार्डियर के हाथ है।
टेंडर प्रक्रिया में चार फर्मों ने लिया था हिस्सा
टेंडर की प्रक्रिया में चार अंतरराष्ट्रीय फर्म्स ने हिस्सा लिया था। इसके लिए फरवरी के महीने में टेंडर फ्लोट किया दया था। तकनीकी मूल्यांकन के बाद चीनी फर्म सीआरआर नानजिंग को झटका लगा और वो टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो गई। तकनीकी मुल्यांकन में तीन फर्में खरी उतरीं और उसके बाद 3 जुलाई को वित्तीय मूल्याकंन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया जिसमें बंबार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को कामयाबी मिली।
बंबार्डियर ने चीनी फर्म को पछाड़ा
बंबार्डियर ट्रांसपोर्ट सभी 67 ट्रेनों को अपने गुजरात प्लांट में बनाएगी। पहले ट्रेन सेट को हासिल करने के लिए बंबार्डियर को यूपीएमआरसी मे 65 हफ्ते का समय दिया है। यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एमडी कुमार केशव का कहना है कि ट्रेनों के बनाने के सलेक्शन में डिजाइन के पहलू के साथ साथ ऊर्जा बचत पर ज्यादा ध्यान दिया गया।
तकनीक और यात्रियों की सुविधा का खास ख्याल
इसके साथ ही यात्रियों की सुविधा का भी खास ख्याल रखा गया ताकि लोगों को यात्रा करने में किसी तरह की असुविधा न हो। लॉकडाउन खुलने के बाद अब कानपुर में मेट्रो के काम ने रफ्तार पकड़ ली है। यूपीएमआरसी का कहना है कि रोलिंग स्टॉक और सिग्नलिंग सिस्टम के टेंडर को अवार्ड किए जाने के बाद काम में न केवल तेजी आएगी बल्कि अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिलेगी।