- कच्चे तेल की कीमत ने प्रमुख एशियाई बाजारों में तबाही मचा दी है।
- 2022 की शुरुआत के बाद से वैश्विक तेल की कीमत में 60 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है।
- इससे विश्व आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति व मंदी की चिंताएं बढ़ रही हैं।
Crude Oil: कच्चे तेल की कीमत (Crude Oil Price) आसमान पर पहुंच गई है। सोमवार को तेल की कीमत साल 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। ऐसा इसलिए क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय सहयोगियों द्वारा रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध (Russian oil import ban) पर बातचीत चल रही है। वैश्विक बाजारों में ईरानी कच्चे तेल (Iranian crude) की संभावित वापसी में देरी ने आपूर्ति की आशंकाएं हैं। कच्चा तेल 13 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
जुलाई 2008 के बाद से उच्चतम स्तर पर पहुंची कीमत
कारोबार के पहले कुछ मिनटों में ब्रेंट क्रूड (Brent crude) 139.13 डॉलर पर पहुंच गया और यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (West Texas Intermediate, WTI) 130.50 डॉलर पर पहुंच गया। दोनों बेंचमार्क जुलाई 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। बाद में ब्रेंट क्रूड की कीमत 124.71 प्रति बैरल पर और डब्ल्यूटीआई की कीमत 122.35 डॉलर पर पहुंच गई।
200 डॉलर तक जा सकती है तेल की कीमत
बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों ने कहा कि अगर रूस के अधिकांश तेल निर्यात में कटौती की जाती है, तो प्रति दिन 5 मिलियन बैरल (bpd) या इससे ज्यादा की कमी हो सकती है। इसका मतलब है कि तेल की कीमतें 200 डॉलर तक जा सकती हैं।
वैश्विक मंदी का कारण बन सकता है तेल
जेपी मॉर्गन (JP Morgan) के विश्लेषकों ने कहा कि इस साल तेल 185 डॉलर तक बढ़ सकता है और मित्सुबिशी यूएफजे फाइनेंशियल ग्रुप इंक (MUFG) के विश्लेषकों ने कहा कि तेल 180 डॉलर तक बढ़ सकता है और वैश्विक मंदी का कारण बन सकता है।
तेल उत्पादों का शीर्ष निर्यातक है रूस
रूस संयुक्त रूप से कच्चे और तेल उत्पादों का दुनिया का शीर्ष निर्यातक है, जिसका निर्यात लगभग 7 मिलियन बीपीडी, या वैश्विक आपूर्ति का 7 फीसदी है। जापान की सबसे बड़ी व्यापारिक लॉबी के प्रमुख ने कहा कि देश के रूसी कच्चे तेल के आयात को तुरंत नहीं बदला जा सकता है। रूस कच्चे तेल और विक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) का जापान का पांचवां सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।