- भारत में कोविड-19 के 24 घंटों में 1 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं।
- कोविड-19 मामलों से देश की आर्थिक सुधार को खतरा है।
- अगले वित्तीय वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में कटौती हो सकती है।
Budget 2022: तीन सरकारी अधिकारियों ने कहा कि भारत अगले वित्तीय वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 6.3 फीसदी से 6.5 फीसदी रख सकता है, जो पहले की योजना से कम महत्वाकांक्षी लक्ष्य है क्योंकि कोविड-19 (Covid-19) संक्रमण से आर्थिक सुधार को खतरा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। अधिकारियों ने कहा कि सरकारी खर्च में तेज कटौती विकास की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है।
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का मामले (Covid Cases In India) बढ़ रहे हैं। नए वैरिएंट ओमिक्रोन (Omicron) की वजह से उपभोक्ता और व्यावसायिक खर्च प्रभावित होंगे। रॉयटर्स के अनुसार, चर्चा में शामिल अधिकारियों ने कहा कि अब अगले वित्तीय वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे में 30 से 50 आधार अंक की कटौती के लक्ष्य की योजना है।
निजी अर्थशास्त्रियों का अनुमान
मार्च में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में घाटे को 240 आधार अंकों से घटाकर 6.8 फीसदी करने के बाद नीति निर्माता राजकोषीय घाटे को व्यापक अंतर से नीचे लाने की उम्मीद कर रहे थे। कुछ निजी अर्थशास्त्रियों और ब्रोकरेज ने कहा कि महामारी प्रोत्साहन और राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि के बाद राजकोषीय घाटा 2020-21 में 9.4 फीसदी से जीडीपी के लगभग 5 फीसदी तक लाया जा सकता है।
कोरोना ने राज्यों को प्रतिबंध लगाने के लिए किया मजबूर
बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों ने कई राज्यों को प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर किया है। ऐसे में नीति निर्माताओं के बीच चिंता बढ़ रही है कि उपभोक्ता भावना प्रभावित होने से आर्थिक सुधार की गति और बजट गणना पर असर पड़ सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 10 फीसदी विकास लक्ष्य से चूक सकती है क्योंकि नया ओमिक्रोन वैरिएंट जनवरी-मार्च के दौरान आर्थिक गतिविधियों को बाधित कर सकता है।
अगले वित्त वर्ष के लिए इतना हो सकता है लक्ष्य
दो अधिकारियों ने कहा कि अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्तीय वर्ष के लिए आर्थिक विकास लक्ष्य 7 फीसदी से अधिक नहीं होगा। वित्त मंत्री संसद में अपना तीसरा वार्षिक बजट पेश करते हुए सरकारी खर्च, कर प्राप्तियों और आर्थिक विकास के नए लक्ष्यों का खुलासा करने के लिए तैयार हैं।