- लोन अदायगी के तीन तरीके हैं, रेगुलर अदायगी, प्री या फोरक्लोजर या पार्ट पेमेंट
- रेगुलर अदायगी में पूरी अवधि तक भुगतना करना पड़ता है
- प्री या फोर क्लोजर को बेहतर विकल्प माना जाता है
आप अक्सर फोन पर या अन्य माध्यमों के जरिए लोन के बारे में सुनते होंगे साथ में जरूरत होने पर बैंकों से लोन लेते भी होंगे। अगर आप किसी जरूरत में हों और पर्याप्त फंड ना हो तो लोन ही रास्ता बचता है। लेकिन लोन लेने के बाद उसे चुकाने की जिम्मेदारी भी सिर पर आ जाती है। अगर आप समय पर लोन चुकता करें तो उसके कई फायदे हैं। अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो आपके सामने तरह तरह की मुश्किलें भी सामने आ जाती हैं। यहां पर हम तीन विकल्पों की बात करेंगे जो आपकी राह आसान बना देगी।
लोन चुकाने के ये हैं तीन तरीके
अब लोन चुकाने के तीन तरीके हैं, पहला- रेगुलर अदायगी, दूसरा- प्री क्लोजर या फोरक्लोजर और तीसरा पार्ट पेमेंट। रेगुलर क्लोजर का अर्थ यह है कि अगर आपने तीन लाख का लोन पांच वर्ष के लिए लिया है तो लोन की अदायगी तय पांच वर्ष में करें। इसके साथ ही दूसरा विकल्प प्री क्लोजर या फोर क्लोजर का है। इसे उदाहरण के तौर पर इस तरह से समझ सकते हैं। अगर आपने से पांच लाख का लोन पांच वर्ष के लिया है और उसकी अदायगी तय समय से पहले करते हैं, इसमें फायदा यह होता है कि आप बैलेंस आउटस्टैंडिंग पर कुछ फीसद शुल्क देकर लोन को क्लोज करा सकते हैं। इसका बड़ा फायदा यह होता है कि आप ब्याज के बोझ से बच जाते हैं।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों के मुताबिक इन दोनों तरीकों के अलावा तीसरा विकल्प पार्ट पेमेंट का होता है। पार्ट पेमेंट करने से यह फायदा होता है कि आप के लोन चुकाने की अवधि में कमी आ जाती है।अब यदि आप इन तरीकों में से किसी एक भी तरीके को अमल में लाते हैं तो उससे आपका सिबिल स्कोर दुरुस्त रहता है और आगे चलकर आप के पास कई अन्य बैंकों से भी लोन लेने का रास्ता साफ हो जाता है। जानकार कहते हैं कि अगर संभव हो तो लोन लेने के बाद आप सबसे पहले फोरक्लोजर वाले विकल्प का इस्तेमाल करें। अगर यह विकल्प आपके लिए संभव ना हो तो आप पार्ट पेमेंट के ऑप्शन को चुन सकते हैं।