नई दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने बुधवार को UIDAI को 5 साल से कम उम्र के बच्चों को उनके माता-पिता के बायोमेट्रिक्स के आधार (Aadhaar) पर बायोमेट्रिक पहचान की विशिष्टता की पुष्टि किए बिना आधार जारी करने के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह के कृत्य आधार अधिनियम के बुनियादी सिद्धांत के खिलाफ हैं।
CAG ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को 5 साल से कम उम्र के नाबालिग बच्चों के लिए बायोमेट्रिक पहचान की विशिष्टता हासिल करने के लिए "वैकल्पिक तरीके" तलाशने की सलाह दी, क्योंकि पहचान की विशिष्टता किसी व्यक्ति के बायोमेट्रिक्स के माध्यम से स्थापित आधार की सबसे विशिष्ट विशेषता है।
UIDAI के कामकाज पर अपनी रिपोर्ट में प्रधान लेखा परीक्षक ने कहा कि विभिन्न निवासियों को एक ही बायोमेट्रिक डेटा के साथ आधार जारी करने के उदाहरण हैं, जो डी-डुप्लीकेशन प्रक्रिया में खामियों का संकेत देते हैं और दोषपूर्ण बायोमेट्रिक्स और दस्तावेजों पर आधार जारी करते हैं।
बुधवार को राज्यसभा में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 'डी-डुप्लीकेशन प्रक्रिया' कई आधार नंबर बनाने के लिए कमजोर रही और समस्या को हल करने के लिए मैन्युअल हस्तक्षेप करना पड़ा।