नई दिल्ली : जीएसटी परिषद ने सोमवार (05 अक्टूबर) को कार और तंबाकू जैसे उत्पादों पर उपकर जून 2022 के बाद भी लगाने का निर्णय किया। लेकिन परिषद राज्यों को कर राजस्व के नुकसान के एवज में क्षतिपूर्ति के उपायों पर आम सहमति बनाने में विफल रही। परिषद की करीब आठ घंटे चली बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण ने कहा कि क्षतिपूर्ति के मामले में विचार के लिए परिषद की 12 अक्टूबर को फिर बैठक होगी। वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। जीएसट के प्रभाव में आने के बाद यह कर की दरों और ढांचे के बारे में निर्णय करती है। परिषद राजनीतिक विचारों के आधार पर बटी नजर आयी। जहां गैर-भाजपा शासित और उसको समर्थन देने वाले दलों ने केंद्र के राजस्व में कमी की भरपाई कर्ज लेकर करने के प्रस्ताव का विरोध किया।
ऐसा लगता है कि राज्य क्षतिपूर्ति का मामला परिषद में मतदान की ओर बढ़ रहा है। जो विकल्प अधिक संख्या में राज्य चुनेंगे, उसे लागू किया जाएगा। जीएसटी जब जुलाई 2017 में पेश किया गया था, राज्यों से उनकी अंतिम कर प्राप्ति के हिसाब से माल एवं सेवा कर लागू होने के पहले पांच साल तक 14 प्रतिशत की दर से राजस्व में वृद्धि का वादा किया गया था। इसमें कहा गया था कि किसी प्रकार की कमी की भरपाई केंद्र आरामदायक और समाज के नजरिये अहितकर वस्तुओं पर उपकर लगाकर करेगा। केंद्र ने राजस्व में कमी को पूरा करने के लिये यह सुझाव दिया है कि राज्य भविष्य में होने वाले क्षतिपूर्ति प्राप्ति के एवज में कर्ज ले सकते हैं।
सीतारमण ने कहा कि 21 राज्यों ने केंद्र के सुझाये दो विकल्पों में से एक का चयन किया है। लेकिन 10 राज्य इस पर सहमत नहीं है। केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि 10 राज्य चाहते हैं कि केंद्र स्वयं कर्ज ले और फिर राज्यों को दे। ये राज्य मुख्य रूप से कांग्रेस और वाम दल शासित हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद ने क्षतिपूर्ति के लिये पांच साल के बाद यानी जून 2022 के बाद भी जीएसटी उपकर जारी रखने का निर्णय किया है। कार और अन्य अरामदायक वस्तुओं तथा तंबाकू उत्पादों पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी के अलावा 12 प्रतिशत से लेकर 200 प्रतिशत तक उपकर भी लगता है। यह जून 2022 को समाप्त होता। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि क्षतिपूर्ति शुल्क कबतक लगाया जाएगा।
बैठक के बाद सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा कि 21 राज्यों ने कर्ज लेने के विकल्प को चुना है। लेकिन वह अन्य राज्यों के बीच सहमति बनाने को लेकर क्षतिपूर्ति के वित्त पोषण को लेकर और चर्चा करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य चाहते हैं कि केंद्र जीएसटी संग्रह में कमी का आकलन 97,000 करोड़ रुपए के बजाए 1.10 लाख करोड़ रुपए करे। इस पर केंद्र ने परिषद की 42 वीं बैठक से पहले सहमति व्यक्त की थी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने अगस्त में चालू वित्त वर्ष में राज्यों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में 2.35 लाख करोड़ रुपए के राजस्व की कमी का अनुमान लगाया। केंद्र के आकलन के अनुसार करीब 97,000 करोड़ रुपए की कमी जीएसटी क्रियान्वयन के कारण है, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की वजह कोविड-19 है। इस महामारी के कारण राज्यों के राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
केंद्र ने इस कमी को पूरा करने राज्यों को दो विकल्प दिये हैं। इसके तहत 97,000 करोड़ रुपए रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली विशेष सुविधा से या पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपए बाजार से लेने का विकल्प दिया गया है। साथ ही क्षतिपूर्ति के लिये आरामदायक और अहितकर वस्तुओं पर उपकर 2022 के बाद भी लगाने का प्रस्ताव किया था।
गैर-भाजपा शासित राज्य केंद्र के राजस्व संग्रह में कमी के वित्त पोषण के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। छह गैर-भाजपा शासित राज्यों...पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु ने केंद्र को पत्र लिखकर विकल्पों का विरोध किया जिसके तहत राज्यों को कमी को पूरा करने के लिये कर्ज लेने की जरूरत है।
सीतारमण ने कहा कि सवाल यह है कि 20 राज्यों ने पहला विकल्प चुना है लेकिन कुछ राज्यों ने कोई विकल्प नहीं चुना। जिन राज्यों ने विकल्प नहीं चुना है, उनकी दलील है कि केंद्र को कर्ज लेना चाहिए। यह महसूस किया गया कि आप 21 राज्यों की तरफ से निर्णय नहीं कर सकते जिन्होंने आपको पत्र लिखा है। हमें इस बारे में और बात करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मुझे यह भी याद दिलाया गया कि आप किसी को भी हल्के में नहीं ले सकती। मैंने इस पर वहां कहा और यहां कह रही हूं कि किसी को भी हल्के में नहीं लेती। मैंने वहां कहा और यहां भी कह रही हूं कि मैं हमेशा बातचीत और चर्चा के लिये तैयार रहती हूं। परिषद की बैठक फिर 12 अक्टूबर को होगी।
कर्ज लौटाने के बारे में सीतारमण ने कहा कि उधार ली गयी राशि पर ब्याज का सबसे पहले भुगतान उपकर से किया जाएगा जिसका संग्रह पांच साल के बाद भी होगा। उसके बाद कर्ज ली गयी 1.10 लाख करोड़ रुपए की मूल राशि के 50 प्रतिशत का भुगतान किया जाएगा। शेष 50 प्रतिशत का भुगतान कोविड प्रभावित क्षतिपूर्ति के लिये किया जाएगा।