- गरीब रथ के कोच को नए कलेवर में लाने की तैयारी
- नए कोच में सुरक्षा और सुविधा का खास ख्याल
- नए कोच में सफर इकॉनमी डिब्बों से थोड़ा महंगा लेकिन थर्ड एसी से सस्ता होगा।
(कुन्दन सिंह, विशेष संवाददाता, टाइम्स नाउ नवभारत)
बतौर रेल मंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान लांच की गरीब रथ के पुराने पड़ गए डब्बों को हटाने जा रही हैं। अब उनको नए इकॉनमी 3AC कोच से रिप्लेस करने का काम होने वाला हैं। पुराने 3AC कोच के 72 बर्थ के तुलना में यात्रियों के लिए ज्यादा सीटे मुहैया कराने के लिए बनाई जा रही नए एसी-3 इकॉनामी क्लास का किराया तय कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक़ इसका किराया एसी-3 क्लास के किराये से क़रीब 8 फ़ीसदी कम होगा।।नये मॉडल के कोच में कुछ ख़ास सुविधाएं रखी गई हैं।
रेलवे इन नये कोच को ग़रीब रथ ट्रेनों में एसी-3 इकॉनोमी कोच ही इस्तेमाल किये जाएंगे।। इसका मक़सद स्लीपर क्लास के मुसाफिरों को कम किराये में एसी क्लास में सफर का मौका देना है।रेलवे में अभी 26 ग़रीब रथ ट्रेनें अप-डाउन में चलती हैं। इस ट्रेनों के लिए रेलवे के पास 25 रेक हैं। रेलवे की योजना इन रेक को एक-एक कर हटाना है और उनकी जगह पर एसी-3 इकॉनोमी के कोच लगाना है। अगर उन ट्रेनों में भी एसी-3 इकॉनोमी का किराया लागू किया जाता है तो आने वाले समय में ग़रीब रथ ट्रेनों के किराये में क़रीब 10 फ़ीसदी की बढ़ोेत्तरी हो सकती है।
एसी-3 इकॉनमी के निर्माण का टारगेट
मौजूदा समय मे रेलवे के कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में एसी-3 इकॉनोमी क्लास के 50 कोच तैयार किये गए हैं। ये कोच देशभर में अलग-अलग रेलवे ज़ोन को भेजा गया है। अभी इन्हें अलग-अलग ट्रेनों में लगाने की योजना है,। इसके साथ ही आने वाले इस साल एसी-3 इकॉनोमी के 800 कोच तैयार करने जा रहा है।
इनमें 300 कोच इंटिग्रल कोच फ़ैक्ट्री चेन्नई,
285 कोच मॉडर्न कोच फ़ैक्ट्री रायबरेली और
177 रेल कोच फ़ैक्ट्री कपूरथला में तैयार किए जाएंगे
एसी- 3 टियर इकॉनोमी क्लास में 83 बर्थ हैं। इसके लिए साइड में 2 की जगह 3 बर्थ रखे गए हैं। जबकि एसी-3 में 72 बर्थ होते हैं। यानि एसी-3 इकॉनोमी क्लास में एसी-3 के मुक़ाबले क़रीब 15 फ़ीसदी ज्यादा बर्थ हैं। इसका मतलब है कि रेलवे को एसी-3 इकॉनोमी क्लास के डब्बे से ज़्यादा फ़ायादा होने वाला है। पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसदा यादव के ज़माने में भी साइड में 3 बर्थ के साथ ग़रीब रथ ट्रेनें शुरू की गई थीं। हालांकि ग़रीब रथ का किराया एसी-3 के किराये से 15 फ़ीसदी कम रखा गया था।
कौन से क्लास में कितना है नफा नुकसान
सूत्रों के मुताबिक रेलवे को केलव एसी- 3 क्लास से ही फ़ायदा होता है। आमतौर पर रेलवे को एसी-3 क्लास से 7 फ़ीसदी का फायदा होता है।। सबअर्बन ट्रेन पर 64 फ़ीसद का नुकसान उठाना पड़ता है। जबकि नॉन सब अर्बन ट्रेन के सवारी डिब्बों पर 40 फ़ीसद का नुकसान।वहीं एसी 1 पर करीब 24 फीसदी का नुकसान एसी 2 पर करीब 27 फीसदी नुकसान स्लीपर क्लास से करीब 34 फीसदी का नुकसान और चेयर कार से करीब 16 फीसदी का नुसकान होता है। यानि रेलवे को केवल एसी 3 क्लास के सवारियों को ढोने में फायदा होता है इसलिए एसी-3 कोच को बढ़ाने से उसका नुकसान कम होता जाएगा।
क्या है खास एसी-3 इकॉनमी में
एसी-3 इकॉनोमी के डिब्बों की खास बातें
इस कोच के बर्थ काफ़ी हल्के लेकिन मज़बूत रखे गए हैं।।हर बर्थ के साथ स्नैक्स टेबल की व्यवस्था की गई है।। हर बर्थ के साथ चार्जिंग के लिए पोर्ट दिए गए हैं।।हर बर्थ के साथ रिडिंग लाइट मौजूद है।।उपर के बर्थ पर चढने के लिए बेहतर सीढ़ियां बनाई गई हैं।।कोच में फायर अलार्म सिस्टम की व्यवस्था।। दिव्यांगों के लिए चौड़े दरवाज़ रखे गए हैं ताकि व्हील चेयर को अंदर तक लाया जा सके।
दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक टॉयलेट
टायलेट के टैप पैरों से चलाने व्यवस्था रखी गई है ताकि स्वच्छता बरक़रार रखी जा सके।
इस कोच में लाइटिंग काफी बेहतर रखी गई है ताकि किसी भी मुसाफिर को परेशानी न हो।
भारतीय रेलवे की कोशिश है कि आम लोग भी कम कीमत पर आरामदेह सफर कर सकें। इसके लिए लगातार रेलवे की आधारभूत संरचना में बदलाव किया जा रहा है।