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त्यौहारी सीजन करीब, ऑफर के बीच नो कॉस्ट ईएमआई, कैशबैक और रिवॉर्ड प्वाइंट्स के बारे में आसान भाषा में समझें

Updated Oct 17, 2020 | 14:12 IST

त्यौहारी सीजन के आते ही कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए कैशबैक, नो कॉस्ट ईएमआई और रिवॉर्ड प्वाइंट्स के ऑफर देती हैं। यहां पर हम आसान अंदाज में तीनों ऑफर के बारे में बता रहे हैं।

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त्योहारी सीजन में कंपनियां दे रही हैं अलग अलग ऑफर

त्योहार का सीजन आ चुका है और ग्राहकों को लुभाने के लिए पेटीएम मॉल, अमेजन, मिंत्रा और फ्लिपकार्ट की तरफ से आकर्षक ऑफर दिए जा रहे हैं। कपड़ों से लेकर इलेक्ट्रिकृ इलेक्ट्रानिक्स आइटम पर छूट भी दी जा रही है इसका अर्थ  यह है कि कम खर्च में भी आप अपनी जरूरतों को पूरी कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अगर आपकी जेब अलाउ नहीं करती है तो उस केस में भी सेल में अलग तरह से पेशकश की गई है जिसे अलावा कैशबैक, रिवॉर्ड प्वाइंट और नो कॉस्ट ईएमआई का नाम दिया गया है।  यहां पर हम तीनों तरह के विकल्प के बारे में जानकारी देंगे।

नो कॉस्ट ईएमआई

जब हम किसी महंगे सामान को खरीदना चाहते हैं कि तो जब या को इजाजत नहीं  देती है या और भी जरूरतें खरीदारी से रोक देती हैं। लेकिन इन सबके बीच हम अक्सर ईएमआई का सहारा लेते हैं। ईएमआई का अर्थ यह है कि किसी उत्पाद को किस्तों पर लेते हैं, इसके लिए हमें तय अवधि तक समान रकम का भुगतान करना होता है जिस पर ब्याज भी लगता है। उदाहरण के तौर  यानी अगर आपने 15000 रुपये का सामान खरीदते हैं और तीन महीने में चुकाना चाहते हैं को आपको पांच हजार रुपए के साथ ब्याज अदा करना पड़ता है।  

जबकि नो-कॉस्ट ईएमआई में में ग्राहक को केवल सामान की कीमत ही चुकानी पड़ती है। कोई ब्याज नहीं देना होता है. यानी अगर 15000 का सामान  3 महीने के लिए खरीदते हैं तो आपको महज 5000 अदा करना होगा। नो-कॉस्ट EMI ग्राहकों को लुभाने का एक जरिया होता है। दरअसल जब आप साधारण ईएमआई से विकल्प को चुनते हैं तो आप को ब्याज देना पड़ता है। लेकिन नो कास्ट ईएमई में उत्पाद पर आप किसी तरह की छूट नहीं पाते हैं। दूसरा तरीका यह भी होता है कि ब्याज को उत्पाद की कीमत में ही जोड़ दिया जाता है, दरअसल आरबीआई की तरफ  े की ओर से जीरो परसेंट इंट्रेस्ट को परमीशन नहीं है.

कैशबैक

कैशबैक इस समय ग्राहकों को लुभाने का बेहतर तरीका बन गया है। दरअसल जब हम किसी सामान की खरीद के वक्त पेमेंट करते हैं तो उसका कुछ हिस्सा हमें वापस मिल जाता है।  लेकिन यदि इसे छूट के लिहाज से देखें तो यह थोड़ा अलग है क्योंकि छूट आपको पहले मिल जाती है जबकि कैश बैक कुछ समय के बाद आता है। त्योहारी सीजन में चुनिंदा मोबाइल वॉलेट्स या बैंक कार्ड के जरिए प्रॉडक्ट खरीदने पर कैशबैक ऑफर किया जाता है. है. अगर कैशबैक की सुविधा तुरंत है तो  ग्राहक के वॉलेट या उससे लिंक बैंक अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाता है।  लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो  क्रेडिट होने के लिए 24 घंटे या 48 घंटे तक की अवधि लगती है। .

कई बार कंपनियां कैशबैक के लिए एक न्यूनतम रकम की शर्त लगा देती हैं, इसका अर्थ यह है कि उस रकम से कम खर्च करने पर कैशबैक की सुविधा नहीं मिलती है।  यहां यह समझना जरूरी है कि अगर किसी उत्पाद का दाम सेल में पहले के मुकाबले बढ़ चुका है और उसके बाद कैशबैक दिया जा रहा है तो वो असली छूट नहीं है।

रिवार्ड प्वाइंट

कई बार सेल में ग्राहकों को कैशबैक की जगह  रिवॉर्ड प्वॉइंट ऑफर किया जाता है। हर 100 रुपये की पेमेंट पर 1 रिवॉर्ड प्वॉइंट और 1 रिवॉर्ड प्वॉइंट मतलब 1 रुपया।  यानी ये रिवॉर्ड प्वॉइंट एक तरह का कैशबैक की ही तरह हैं। लेकिन आप इन्हें अगली खरीदारी के वक्त ही भुनाया जा सकता है. एक तरह से रिवॉर्ड प्वॉइंट के जरिए कस्टमर को फिर से खरीदारी करने के लिए बढ़ावा दिया जाता है। कुछ कं​पनियां अगली खरीदारी में भुगतान किए जाने वाले अमाउंट के बराबर रिवॉर्ड प्वॉइंट अमाउंट उपलब्ध होने पर पूरी खरीदारी इसी को भुना कर करने की सुविधा देती हैं. यानी कस्टमर बिना एक भी पैसा दिए इन्ही रिवॉर्ड प्वॉइंट से खरीदारी कर सकता है। 

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