Cooking oil/oilseed price today, 26 August 2020 : देश में सस्ते खाद्यतेलों का आयात बढ़ने के बीच मांग कमजोर रहने से तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को मूंगफली, सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट का रुख रहा। दूसरी ओर मलेशिया में भारी स्टॉक होने के बीच बढ़ते आयात के मुकाबले मांग कमजोर रहने से कच्चा पाम तेल एवं पामोलीन तेल कीमतों में भी रही। बाजार सूत्रों का कहना है कि मलेशिया में पाम तेल का भारी स्टॉक जमा है और इस बार भी उत्पादन में भारी वृद्धि के आसार हैं। देश के कुछ आयातक बैंकों में अपने साख पत्र को परिचालन में बनाये रखने के लिए पड़ता नहीं होने के बावजूद आयात जारी रखे हुये हैं। ऐसे में देशी तेल मिलों के पास कोई काम नहीं है और ये मिलें बंद पड़ी हैं।
सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में किसानों के पास पिछले साल का सोयाबीन, मूंगफली स्टॉक बचा हुआ है। देश में इस बार सोयाबीन की खरीफ बुवाई भी अच्छी है। ऐसे में पहले ही सस्ते आयातित तेलों से अटे पड़े बाजार में घरेलू तेलों को खपाना उत्पादकों के लिये मुश्किल भरा होने वाला है।
थोक तेल-तिलहन बाजार के बंद भाव बुधवार को इस प्रकार रहे- (भाव- रुपए प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 5,175- 5,225 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपए।
मूंगफली दाना - 4,635- 4,685 रुपए।
वनस्पति घी- 965 - 1,070 रुपए प्रति टिन।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 12,075 रुपए।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,770- 1,830 रुपए प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,400 रुपए प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,605 - 1,745 रुपए प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,715 - 1,835 रुपए प्रति टिन।
तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपए।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,230 रुपए।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,000 रुपए।
सोयाबीन तेल डीगम- 8,190 रुपए।
सीपीओ एक्स-कांडला-7,430 से 7,480 रुपए।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,350 रुपए।
पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 8,920 रुपए।
पामोलीन कांडला- 8,120 रुपए (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन तिलहन डिलिवरी भाव 3,655- 3,680 लूज में 3,390 -- 3,455 रुपए।
मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपए
सूत्रों ने कहा कि राजस्थान में बुधवार को सहकारी संस्था नाफेड ने 5,175 रुपए क्विन्टल के भाव सरसों की बिकवाली की है। बाजार जानकारों का कहना है कि तिलहन उत्पादक किसानों को देश के विकास में हिस्सेदार बनाने के लिए सरकार को सक्रियता के साथ कदम उठाने होंगे और सस्ते आयात पर लगाम लगानी होगी तभी देश तिलहन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर होगा।