Cooking oil/oilseed price today, 05 August 2020 : सस्ते आयातित तेलों के सामने ऊंची कीमत वाले देशी तेलों की मांग घटने तथा विदेशों में पाम एवं पामोलीन तेल का पर्याप्त स्टॉक जमा होने से स्थानीय तेल तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, पाम और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों की आगामी फसल आने में 08 महीने की देर है जबकि सोयाबीन, सूरजमुखी और मूंगफली की फसल अगले महीने से महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात की मंडियों में आने लगेगी। सस्ते आयात के आगे इन तेलों की कहां खपत होगी, यह चिंता किसानों और तेल उद्योग को सता रही है।
उधर मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम एवं पामोलीन का पहले से भारी स्टॉक जमा है तथा इसकी अगली फसल भी बम्पर होने की पूरी संभावना है। सूत्रों ने कहा कि देश भारत अपनी जरूरत के 30-32 प्रतिशत तिलहन का ही उत्पादन करता है पर मुसीबत यह है कि 10 प्रतिशत तिलहन ऊपज, सस्ते आयात के कारण बाजार में नहीं खप पा रही है। उनका कहना है कि ऐसे में तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता का मतलब समझ में नहीं आता। उन्होंने कहा कि किसानों के पास पिछले साल का मूंगफली और सोयाबीन का स्टॉक बचा है सरकार यदि तिलहन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने की मंशा रखती है तो उसे आयातित आयातित तेलों पर आयात शुल्क को बढ़ाना होगा।
तेल-तिलहन के बुधवार को बंद भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपए प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 4,930- 5,000 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपए।
मूंगफली दाना - 4,615- 4,665 रुपए।
वनस्पति घी- 965 - 1,070 रुपए प्रति टिन।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 12,040 रुपए।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,810- 1,860 रुपए प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,200 रुपए प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,595 - 1,735 रुपए प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,705 - 1,825 रुपए प्रति टिन।
तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपए।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,350 रुपए।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,100 रुपए।
सोयाबीन तेल डीगम- 8,280 रुपए।
सीपीओ एक्स-कांडला-7,400 से 7,450 रुपए।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,300 रुपए।
पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 8,900 रुपए।
पामोलीन कांडला- 8,140 रुपए (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन तिलहन डिलिवरी भाव 3,625- 3,650 लूज में 3,360--3,425 रुपए।
मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपए
उन्होंने कहा कि देशी तेलों की खपत बढ़ाने के लिए सरकार को देश में तेल मिलावट (ब्लेंडिंग) को बंद करना चाहिए। इसके कारण आयातित सस्ते तेल तो बाजार में खप जाते हैं और देशी तिलहन का स्टॉक किसानों के घरों में बेकार पड़ा रह जाता है और उन्हें औने पौने दाम पर निकालना पड़ता है।