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मोदी सरकार ने की 16.01 करोड़ गरीबों की मदद, जरूरतमंदों के खातों में भेजे 36659 करोड़ रुपए

Updated Apr 19, 2020 | 20:04 IST

Government help to the poor : कोरोना वायरस संकट को खत्म करने के लिए लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों के खातों में सीधे रुपए भेजे गए।

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सरकार ने जरूरतमंदों को खातों में भेजे रुपए

नई दिल्ली : सरकार के लिए कोरोना वायरस संकट के दौरान जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रणाली एक कारगर हथियार साबित हुआ है। इसका पता इस बात से चलता है कि 24 मार्च 2020 से 17 अप्रैल 2020 तक की लॉकडाउन अवधि के दौरान डीबीटी प्रणाली के जरिए 16.01 करोड़ लाभार्थियों और जरूरतमंदों के बैंक खातों में 36,659 करोड़ रुपए डाले जा चुके हैं।

पीएफएमएस के माध्यम से डाले गए खातों में
वित्त मंत्रालय की रविवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार यह पैसा मजबूत डिजिटल भुगतान प्रौद्योगिकी लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से डीबीटी के जरिये सीधे लाभार्थियों के खाते में डाले गए हैं। यह राशि केंद्रीय योजनाओं/केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अलावा राज्य सरकारों की योजनाओं के तहत दी गई है। मंत्रालय के अनुसार कुल 36,659 करोड़ रुपए से अधिक राशि 16.01 करोड़ लाभार्थियों को कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जारी बंद (24 मार्च से 17 अप्रैल) के दौरान दिए गए।

16.01 करोड़ लाभार्थियों के खाते में पहुंचे
कुल राशि में से 27,442 करोड़ रुपए केंद्र प्रायोजित योजनाओं और केंद्रीय योजनाओं के लिए तथा 9,717 करोड़ रुपए राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत डीबीटी माध्यम से कुल 16.01 करोड़ लाभार्थियों के खाते में डाली गई है। मंत्रालय के ब्योरे के अनुसार केंद्र प्रायोजित और केंद्रीय योजनाओं से जुड़े लाभार्थियों की संख्या 11.42 करोड़ जबकि राज्यों की विभिन्न योजनाओं से संबद्ध लाभार्थियों की संख्या 4.59 करोड़ रही।

पीएफएमएस का उपयोग काफी बढ़ा
नकद अंतरण के जरिए भुगतान के लिए लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के डिजिटल भुगतान प्रैद्योगिकी पीएफएमएस का उपयोग पिछले तीन वित्त वर्ष में काफी बढ़ा है। वर्ष 2018 में जहां डीबीटी के माध्यम से कुल राशि का वितरण 22 प्रतिशत था, वह बढ़कर 2019-20 में 45 प्रतिशत हो गया। डीबीटी से जहां एक तरफ नकद राशि सीधे लाभार्थी के खाते में जाती है वहीं गड़बड़ियों पर अंकुश लगता है और दक्षता बढ़ती है।

डीबीटी माध्यम से भुगतान
केंद्रीय या केंद्र प्रायोजित जिन योजनाओं के लिए डीबीटी माध्यम से भुगतान किया गया, उसमें पीएम किसान, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी), प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय स्कॉलरशिप पोर्टल के जरिये विभिन्न मंत्रालयें की ‘स्कॉलरशिप’ योजना शामिल हैं।

महिला जनधन खाते में 500-500 रुपए
इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज के तहत घोषित नकद भुगतान भी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिए किया जा रहा है। महिला जनधन खाताधारकों के खाते में 500-500 रुपए डाले जा रहे हैं। वित्तीय सेवा विभाग के आंकड़े के अनुसार 13 अप्रैल 2020 तक कुल 19.86 करोड़ महिला खाताधारकों के खाते में 9,930 करोड़ रुपये डाले गए हैं। मंत्रालय के अनुसार कोरोना वायरस के दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों ने डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में पैसे डाले हैं। आंकड़ों के अनुसार राज्य सरकारों ने पीएफएमएस का उपयोग कर 4.59 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 9,217.22 करोड़ रुपये का लाभ 24 मार्च से 17 अप्रैल के बीच दिया है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 17,733.53 करोड़ रुपए 
वित्त मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान योजना के अंतर्गत 8,43,79,326 लाभार्थिययों को कुल 17,733.53 करोड़ रुपए दिये गये हैं। इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों को साल में 2,000 रुपये की तीन किस्तों में कुल 6,000 रुपये दिये जाते हैं। इसी प्रकार मनरेगा के तहत 1,55,68,86 लाभार्थियों को 5,406.09 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 10,98,128 लाभार्थियों को 280.80 करोड़ रुपये तथा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 7,58,153 लाभार्थियों को 209.47 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

उल्लेखनीय है कि एक अप्रैल 2015 से वित्त मंत्रालय ने डीबीटी के तहत भुगतान, लेखा और रिपोर्टिंग के लिए पीएफएमएस के उपयोग को अनिवार्य कर दिया था। उसने सभी मंत्रालयों और विभागों को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि डीबीटी योजनाओं के तहत कोई भी भुगतान का प्रसंस्करण तब तक नहीं होगा जब तक ऐसे भुगतान के लिये इलेक्ट्रॉनिक भुगतान फाइल पीएफएमएस के जरिये प्राप्त नहीं हो।

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