मजदूर यूनियनों की एक दिन की देशव्यापी हड़ताल में कुछ बैंक कर्मचारी संगठनों के शामिल होने से गुरुवार को देश भर में सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग सेवाएं आशिंक रूप से प्रभावित हुईं। इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों की शाखाओं में जमाओं सहित नकद लेनदेन प्रभावित हुआ, जबकि विदेशी मुद्रा और सरकारी लेनदेन पर भी असर पड़ा। हालांकि, भारतीय स्टेट बैंक और निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज सामान्य है। भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर 10 केंद्रीय मजदूर संगठनों ने सरकार की विभिन्न नीतियों के खिलाफ गुरुवार को एक दिन की हड़ताल का आह्वान किया है।
इसबीच बैंक ऑफ महाराष्ट्र सहित कई बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि वे बैंकिंग संबंधित लेनदेन और अन्य सेवाओं के लिए इंटरनेट, मोबाइल बैंकिंग और एटीएम जैसे डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करें। ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लॉइज (एनसीबीई) और बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) से जुड़े बैंक कर्मचारी हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं।
बैंक अधिकारियों के एक संगठन- अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने हड़ताल को समर्थन दिया है। एआईबीईए ने एक बयान में कहा कि कारोबार सुगमता के नाम पर लोकसभा ने हाल में तीन नए श्रम कानून पारित किए हैं। यह पूरी तरह से कॉरपोरेट के हित में है। करीब 75 प्रतिशत कर्मचारियों को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है और नए कानूनों के तहत उनके पास कोई विधिक संरक्षण नहीं है।
एआईबीईए, भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक के कर्मचारियों को छोड़कर लगभग सभी बैंक कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है। विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्र के पुराने बैंकों समेत कुछ विदेशी बैंकों के कर्मचारी एआईबीईए के सदस्य हैं। बैंक कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन की वजह बैंकों का निजीकरण और क्षेत्र में विभिन्न नौकरियों को आउटसोर्स करना या संविदा पर करना है। इसके अलावा बैंक कर्मचारियों की मांग क्षेत्र के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों की भर्ती करना और बड़े कॉरेपोरेट लोन चूककर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना भी है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने शेयर बाजार से कहा कि यदि हड़ताल प्रभावी रहती है तो बैंक शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज प्रभावित हो सकता है।
हड़ताल पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में जनजीवन आंशिक रूप से प्रभावित हुआ। केंद्रीय श्रमिक संगठनों की संयुक्त समिति द्वारा बुलाए गए 24 घंटे के बंद की शुरुआत सुबह छह बजे हुई। एक अधिकारी ने कहा कि बंद समर्थक सीआईटीयू और डीवाईएफआई जैसे माकपा से संबद्ध संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कोलकाता, जाधवपुर, गरिया, कमलगाजी, लेक टाउन और दमदम इलाकों में रैलियां निकालीं, जिससे वाहनों की आवाजाही बाधित हुई। बंद समर्थकों ने दुकानदारों से अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखने को कहा। उन्होंने बताया कि बंद समर्थकों ने हावड़ा रेलवे स्टेशन के बाहर धरना दिया, वाहन चालकों से सेवाएं बंद करने को कहा लेकिन वाहनों को सामान्य रूप से चलाने के लिए पुलिस बल की एक बड़ी टुकड़ी तैनात की गई।
अधिकारी ने कहा कि बंद लागू करने वालों ने कूचबिहार और झारग्राम जिलों में सड़कों को भी अवरुद्ध कर दिया, टायर जलाए और बसों की खिड़कियां तोड़ दी। उन्होंने बताया कि आंदोलनकारियों ने रेलवे पटरियों को भी बाधित कर दिया था जिससे सियालदह दक्षिण और मुख्य खंडों में रेल सेवाएं प्रभावित हुईं।
हावड़ा में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के एक कार्यकर्ता ने कहा कि लोग हमारे शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि यह उनके हित में है। राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने हड़ताल का समर्थन नहीं किया लेकिन कहा कि वह आर्थिक मुद्दों पर वामदलों और कांग्रेस के साथ है। असंगठित क्षेत्र के कामगारों ने भी 'चक्का जाम' लागू करने के लिए सड़कों पर उतरने का फैसला किया है।